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निष्पक्ष जांच नहीं हुई तो डॉक्टर करेंगे हड़ताल

शिवहर : नवजात बच्ची को चिकित्सक द्वारा मृत घोषित किये जाने को लेकर जहां प्रदर्शनकारियों के हंगामा से नगर में गुरुवार को गहमा गहमी की स्थिति कायम रही. सदर अस्पताल से लेकर राजस्थान चौक पिपराही मोड़ तक अफरा तफरी की स्थिति कायम रही. इमरजेंसी काम के खराब होते देख लोग बैचेन रहे. मार्च क्लोजिंग को […]

शिवहर : नवजात बच्ची को चिकित्सक द्वारा मृत घोषित किये जाने को लेकर जहां प्रदर्शनकारियों के हंगामा से नगर में गुरुवार को गहमा गहमी की स्थिति कायम रही. सदर अस्पताल से लेकर राजस्थान चौक पिपराही मोड़ तक अफरा तफरी की स्थिति कायम रही. इमरजेंसी काम के खराब होते देख लोग बैचेन रहे. मार्च क्लोजिंग को लेकर बैंक की ओर जाने वाले लोग जाम में फंसे कराहते नजर आये. अस्पताल में चिकित्सा के लिए पहुंचे लोग चिकित्सक व एएनएम को फरार देख असमंजस में फंसे नजर आये. बीच बीच में प्रदर्शनकारियों व पुलिस के बीच नोंक झोंक भी होती रही.

प्रदर्शनकारी दोषी चिकित्सक व करीब पांच वर्षों से अस्पताल में जमे डीएस डॉ मेहंदी हसन की तबादला व उन पर कार्रवाई की मांग करते रहे. शव के साथ सड़क पर उतरे प्रदर्शनकारी लाठी डंडा से दुकान बंद कराते नजर आये. जिससे अफरा तफरी का माहौल कायम रहा. सदर अस्पताल परिसर में प्रदर्शनकारियों ने एंबुलेंस का शीशा तोड़ दिया. वहीं पिपराही मोड़ पर नवजात का शव सड़क पर रख टायर जला कर प्रदर्शन किया. इधर चिकित्सक भी दिन भर आपस में राय मशविरा करते रहे. प्रदर्शनकारी सारा दोष चिकित्सक डॉ अनिल कुमार व डीएस डॉ मेंहदी हसन पर मढ़ रहे थे. मृत नवजात के पिता बैजू नाथ साह का कहना है कि उनकी पत्नी रीना गुप्ता ने 8:15 मिनट पर ऑपरेशन के बाद बच्ची को जन्म दिया. किंतु एएनएम के कहने पर ड‍्यूटी पर मौजूद चिकित्सक ने नवजात को मृत घोषित कर दिया. जब वे अपनी बच्ची को दफनाने गये तो उसके शरीर में हड़कत हुई. इस दौरान करीब एक घंटा का समय बित गया. आस पास की महिलाओं को भी बच्ची को दिखाया. सभी ने उसे जिंदा साबित किया. उसे मुंह से सांस मुहैया कराते हुए उसे अस्पताल तक ले गये. पुन: इलाज के लिए भर्ती करने के बाद डीएस ने अॉक्सीजन लगाया व कुछ ही मिनटों में नवजात को मृत घोषित कर दिया. पूरा मामला संदेहास्पद रहा. बताया कि उसकी शादी 2014 के अप्रैल माह में वैरगनिया के बेल विछवा गांव में हुई. यह उसका पहला बच्चा था.

डीएस डॉ मेहंदी हसन का कहना है कि बच्चा मृत पैदा हुआ था. उन्होंने नवजात को पुन: एडमिट नहीं किया था. लोगों के हंगामा को देखते हुए वे अस्पताल से बाहर एक बैठक में चले गये थे. उन्होंने ग्रामीणों व मृतक के परिजनों के सभी आरोप को खारिज कर दिया है. सिविल सर्जन बिसंभर ठाकुर ने कहा कि वे डीएम के एक बैठक में थे. घटना की जानकारी नहीं है. मामले की जानकारी ले रहे हैं जांच होगी. इधर डॉ आर के सिंह ने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. अन्यथा चिकित्सक हड़ताल पर जाने के लिए बाध्य होंगे. इधर जाम के दौरान एसडीपीओ प्रीतिश कुमार व एसडीओ लालबाबू सिंह ने कहा कि आवेदन प्राप्त होने पर मामले की विधि सम्मत जांच कर कार्रवाई होगी. पूरे मामले के दौरान थानाध्यक्ष विरेंद्र कुमार महतो पुलिस बलों के साथ मुस्तैद रहे.

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