नयी दिल्ली : उत्तराखंड में जारी सियासी हलचल बुधवार को एक बार फिर नए मोड़ पर पहुंच गया है. नैनीताल हाईकोर्ट की डबल बेंच ने एकल पीठ के मंगलवार के आदेश पर रोक लगा दी जिससे विधानसभा में गुरुवार को होने वाले शक्ति परीक्षण पर असर पडा है. अब यह शक्ति परीक्षण आज नहीं हो सकेगा. हाईकोर्ट ने मामले की अंतिम सुनवाई के लिए अगले महीने 6 अप्रैल की तिथि निर्धारित की है. कोर्ट ने केंद्र और हरीश रावत से संबंधित मामले में साक्ष्य के रिकॉर्ड शपथपत्र के रूप में पेश करने के आदेश दिए हैं. 7 अप्रैल तक राज्य में यथास्थिति बनी रहेगी.
मामले पर जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के बाद लोकसभा का सत्रावसान करने के मुद्दे पर बुधवार को केंद्र को आडे हाथ लिया. शरद ने कहा कि यह ‘‘एक झूठ छुपाने के लिए हजारों झूठ बोलने’ जैसा है. शरद ने एक बयान में कहा, ‘‘अपना चेहरा बचाने के लिए सरकार ने संसद का सत्रावसान कर दिया, जबकि यह अवकाश में था विराम की अवस्था में था, ताकि उत्तराखंड के विनियोग विधेयक के लिए अध्यादेश जारी कर सके. सरकार का कदम एक झूठ छुपाने के लिए हजारों झूठ बोलने जैसा है.’
उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘उसे हर चीज धैर्य और संयम से करने की जरुरत है और हमारे लोकतंत्र की खातिर देश में तय की गई सीमाओं, मर्यादाओं, परंपराओं और नियम-कायदों का उल्लंघन नहीं करना है.’ शरद ने कहा कि कुछ कांग्रेस विधायकों की पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण राष्ट्रपति शासन लगाने की कोई जरुरत नहीं थी, क्योंकि यह ‘‘न तो राज्य प्रशासन के लिए खतरा था और न ही उसकी नाकामी का उदाहरण था.’
जदयू नेता ने कहा, ‘‘विनियोग विधेयक पारित न होने की दुहाई देकर राष्ट्रपति शासन लगाए जाने को सही नहीं ठहराया जा सकता. यदि केंद्र चाहता तो स्पीकर के फैसले को अदालत में चुनौती दी जा सकती थी. इस वक्त संविधान के अनुच्छेद 356 का प्रयोग करना अवैध और अवांछित था.’