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आओ लें संकल्प, न पियेंगे और न पीने देंगे

पटना : बिहार के लिए बुधवार का दिन ऐतिहासिक रहा. चार राज्यों के बाद बिहार में भी पूर्ण शराबबंदी कानून पारित हो गया. विधानमंडल के दोनों सदनों में सर्वसम्मति से राज्य में शराबबंदी को एक अप्रैल से लागू करने के लिए बिहार उत्पाद संशोधन विधेयक, 2016 को सर्वसम्मति से पारित कर दिया. विधानसभा में मुख्यमंत्री […]

पटना : बिहार के लिए बुधवार का दिन ऐतिहासिक रहा. चार राज्यों के बाद बिहार में भी पूर्ण शराबबंदी कानून पारित हो गया. विधानमंडल के दोनों सदनों में सर्वसम्मति से राज्य में शराबबंदी को एक अप्रैल से लागू करने के लिए बिहार उत्पाद संशोधन विधेयक, 2016 को सर्वसम्मति से पारित कर दिया.

विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ सभी विधायकों ने शराब नहीं पीने और दूसरे को भी इसे पीने से रोकने का संकल्प लिया. मुख्यमंत्री के साथ विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी और विपक्ष के नेता डा प्रेम कुमार ने पूरे सदन के साथ खड़े हुए और शराब नहीं पीने का संकल्प लिया. सदन ने आम लोगों से अपील की कि वे भी शराब नहीं पिएं.
मुख्यमंत्री ने ‘चैरिटी बिगिन्स एट होम’ की लोकोक्ति दोहराते हुए कहा कि कहा कि कोई भी काम वहीं से शुरू किया जाये, जहां इसकी चर्चा हो. जब सदन में विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने बिहार उत्पाद संशोधन विधेयक 2016 के पक्ष में ‘हां’ की अपील की, तो विपक्ष से आवाज आयी कि इसे सर्वसम्मति से पारित कहा जाये. इसके बाद स्पीकर ने विधेयक को सर्वसम्मति से पारित होने की घोषणा की.
मुख्यमंत्री ने विधेयक पर चर्चा पर हस्तक्षेप करते हुए कहा कि संशोधन कानून के तहत बिहार में पूर्ण शराबबंदी चरणबद्ध तरीके से लागू होगी. पहले चरण में एक अप्रैल (शुक्रवार) से ग्रामीण इलाकों में देशी, विदेशी और मसालेदार समेत सभी प्रकार की शराब की बिक्री पर रोक लगा दी गयी है.
इसी चरण बाकी में शहरी इलाकों में भी देशी और मसालेदार शराब की बिक्री पर प्रतिबंध रहेगा. पूरे राज्य में तीन हजार से अधिक दुकानों की जगह सिर्फ नगर निगम और नगर पर्षद क्षेत्र में 656 सरकारी शराब दुकानें खुलेंगी, जहां विदेशी शराब बिकेगी. किसी भी निजी आदमी को शराब बिक्री करने या इसे बनाने की अनुमति नहीं होगी. पूरा कारोबार सरकार की एजेंसी के हवाले होगा. थोक और खुदरा व्यापार के लिए सरकार की एजेंसी बिवरेज काॅरपोरेशन को जिम्मेवारी दी गयी है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की इस घोषणा से ग्रामीण इलाकों में शराब के विरोध में वातावरण बन गया है. उन्होंने अपनी हाल की बैदराबाद और पालीगंज यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि जब हमने एक अप्रैल से शराबबंदी में लोगों से सहयोग की अपील की, तो वहां खड़े सभी तबकों के लोगों ने हाथ उठा कर सहयोग करने का भरोसा दिलाया.
उन्होंने कहा कि जब शहरी इलाके में शराब के खिलाफ वातावरण तैयार हो जायेगा, तो यहां भी प्रतिबंध लगा दिया जायेगा. उन्होंने सदन को बताया कि शराब के कारोबार में संलिप्त पाये जानेवाले लोगों को उम्रकैद तक की सजा और 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. जहरीली शराब के पीने से मौत होने पर शराब बनानेवाले और बेचनेवालों के लिए मौत की सजा तक का प्रावधान किया गया है. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि किसी भी हाल में महिलाओं और बच्चों के नाम पर भी इस कारोबार की रियायत नहीं दी जायेगी.
विधायक बोले, आइएएस अफसरों को दिलवाया जाएं संकल्प
भाजपा के विजय कुमार सिन्हा और संजय सरावगी ने एक अपैल को इसी सदन से विधायकों को शराब नहीं पीने का संकल्प लेने का सुझाव था. विजय कुमार सिन्हा का तर्क था कि आइएएस अधिकारियों को भी इसके लिए संकल्प दिलवाया जाएं. शराबबंदी को लागू करने पर हुई चर्चा में भाकपा माले के सत्यदेव राम, कांग्रेस के सदानंद सिंह ने भी अपने विचार रखे.
जब सदन से विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किये जाने की घोषणा विधानसभा अध्यक्ष ने की, तो भाजपा के नितिन नवीन और विनोद कुमार सिंह आदि सदस्यों ने भारत माता की जय के जयकारे लगाये.
कई राज्यों की नीति का अध्ययन कर तैयार की गयी
एक अप्रैल से बिहार उन राज्यों में शामिल हो जायेगा, जहां शराब प्रतिबंधित है. गुजरात व नगालैंड में पूरी तरह से शराब बंद है, जबकि केरल व मणिपुर में आंशिक शराबंदी है. इसके लिए बिहार में नयी उत्पाद नीति, 2016 बनायी गयी है. जिन राज्यों में पूर्ण या आंशिक रूप से शराबबंदी है, इन सभी राज्यों की शराब नीतियों का गहन अध्ययन करने के बाद ही बिहार की नयी शराब नीति तैयार की गयी है.
इसके लिए गुजरात, नगालैंड, केरल, मणिपुर, तमिलनाडु, कर्नाटक समेत अन्य राज्यों की उत्पाद नीति का अध्ययन किया गया है. राज्य की नीति को ज्यादा सख्त और कारगर बनाया गया है. कुछ ऐसे प्रावधान किये गये हैं, जो दूसरे राज्यों की नीतियों से काफी अलग है. बिहार की नीति में सजा से संबंधित कई सख्त प्रावधान किये गये हैं. कई प्रावधान अन्य किसी राज्यों की नीति में नहीं हैं.
महिलाअों की अावाज पर हुआ बड़ा फैसला : नीतीश
सीएम ने अपनी बात रखते हुए सदन को बताया कि नौ जुलाई, 2015 को श्रीकृष्ण् मेमोरियल सभागार में आयोजित एक कार्यक्रम जब वह अपनी बात खत्म कर सीट पर बैठने जा रहे थे, उसी समय पीछे से महिलाओं की आवाज आयी कि शराब को रोकने का आप कुछ उपाय कीजिए.
महिलाओं की आवाज सुनने के बाद मैंने इतना भर कहा कि अगली बार सरकार में आयेंगे, तो शराबबंदी लागू करेंगे. इस एक वाक्य का इतना प्रचार हुआ कि गांव-गांव बात फैल गयी. चुनाव हुआ, सरकार बनी. ठीक छठे दिन 26 नवंबर को मद्य निषेध दिवस के दिन हमने इसे एक अप्रैल, 2016 से लागू करने का निर्णय लिया.
अधिक अल्कोहल रखने पर होमियोपैथ डॉक्टरों पर भी कार्रवाई
अपने 50 मिनट के संबोधन में मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट कहा कि सरकार का इरादा होमियोपैथ की चिकित्सा या दवा को प्रभावित करने का नही है. लेकिन, होमियोपैथ की दवा बेचने वाले और चिकित्सकों को केंद्र के उस मानक का पालन करना अनिवार्य होगा, जिसके तहत निजी इलाज के लिए 30 एमएल और अस्पताल के लिए 100 एमएल से अधिक अल्कोहल रखने की इजाजत नहीं है.
सरकार स्थानीय स्तर पर होमियोपैथ की दवा बनाने के लाइसेंस को खत्म कर देगी. सदन के बाहर अनौपचारिक बातचीत में उन्होंने कहा कि दो से तीन दिनों में यह कानून जमीन पर उतर जायेगा. इसके बाद मानक से अधिक दवा रखनेवालों के खिलाफ कार्रवाई होगी.
बिहार की नयी शराब नीति की पांच खास बातें
पंचायत स्तर पर देशी व विदेशी सभी तरह की शराब नहीं बिकेगी
विदेशी शराब सिर्फ नगर
निगम और नगर पर्षद क्षेत्र में बिकेगी और वह भी सिर्फ सरकारी दुकानों पर
अवैध शराब के कारोबार पर पांच से 10 साल तक की सजा और एक से 10 लाख तक का जुर्माना चुलाई या अवैध शराब से किसी की मौत होने पर इसे बनाने व बेचनेवालों को मौत तक की सजा अब किसी व्यक्ति को निर्धारित मात्रा में ही विदेशी शराब मिलेगी

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