मधुबनी : ये हैं भाई छेदीराम! चुनाव आते ही अपने पुराने अंदाज में एक बार फिर दिखने लगे हैं. साइकिल के आगे अपने नाम का पोस्टर, साइकिल के पीछे अपने नाम का पोस्टर लगाये फिर इनके घूमने का सिलसिला शुरू हो गया है. छेदी राम भले ही किसी पद पर चुनाव ना जीत पाये होंं […]
मधुबनी : ये हैं भाई छेदीराम! चुनाव आते ही अपने पुराने अंदाज में एक बार फिर दिखने लगे हैं. साइकिल के आगे अपने नाम का पोस्टर, साइकिल के पीछे अपने नाम का पोस्टर लगाये फिर इनके घूमने का सिलसिला शुरू हो गया है. छेदी राम भले ही किसी पद पर चुनाव ना जीत पाये होंं पर इनके क्षेत्र की जनता को परिचय की आवश्यकता नहीं होती.
इन्हें भी अपना परिचय देने की अब आवश्यकता नहीं पड़ती. दूर से ही लोग समझ जाते हैं कि छेदी राम फिर वोट मांगने निकल पड़े हैं. दरअसल विगत पांच सालों में ये हर चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने उतरे हैं. चाहे वो वर्ष 2010 का पंचायत चुनाव हो या फिर लोकसभा चुनाव, विधान पार्षद का चुनाव हो या विधानसभा चुनाव.
सभी चुनाव में मैदान में अन्य प्रत्याशियों के साथ दो दो हाथ करने चुनावी अखाड़े में कूद जाते हैं. सफेद कुर्ता पायजामा पहने, अपने पुराने साइकिल पर आगे पीछे अपने नाम व चुनाव चिह्न का बैनर लगा चुनाव प्रचार में निकल जाते हैं. इस पंचायत चुनाव में एक बार फिर पंडौल से जिला परिषद सदस्य के पद पर नामांकन करा चुनावी मैदान में उतर गये हैं.
2010 से आजमा रहे हैं किस्मत
भाई छेदी राम बताते हैं कि ये साल 2010 से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. वर्ष 2010 में हुए पंचायत चुनाव में ये जिप सदस्य पद के लिये चुनाव लड़े. जिसमे इन्हें 7171 मत मिला और ये दूसरे नंबर पर रहे. फिर लोक सभा चुनाव में झंझारपुर क्षेत्र से चुनावी मैदान में आये. इसमें इन्हें 8689 मत प्राप्त हुआ. इसके बाद 2015 मे विधानपार्षद का चुनाव भी लड़ा . पर जनता ने फिर नकारा. विगत विधानसभा चुनाव में इन्हें भारतीय मित्र पार्टी से टिकट मिला .
साथ ही मिला चुनाव प्रचार के लिये बोलेरो. पर जनता ने वोट नहीं दिया और भाग्य ने साथ नहीं दिया. इन्हें महज 1283 मत ही मिले. इस बार पंचायत चुनाव में ये एक बार फिर जिप सदस्य पद के लिये नामांकन कर दिया है और चुनावी मैदान में जोर शोर से डटे हैं. देखना है जनता इस चुनाव मे इन्हें अपना प्रतिनिधि चुनता है या इन्हें फिर पिछले चुनाव की तरह ही हार का सामना करना पड़ेगा.