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जनता के बीच रहे, उनके बीच ली विदाई
मेदिनीनगर : विधायक विदेश सिंह जनता को निराश नहीं देखना चाहते थे, जनता के बीच अधिक से अधिक रहना, उनकी समस्या दूर करना, कहीं किसी के साथ अन्याय हो रहा है तो उसके पक्ष में न्याय करना, रोज की दिनचर्या में यह शामिल रहता था. सुबह से ही दूर-दराज के इलाके से लोग तरहसी स्थित […]
मेदिनीनगर : विधायक विदेश सिंह जनता को निराश नहीं देखना चाहते थे, जनता के बीच अधिक से अधिक रहना, उनकी समस्या दूर करना, कहीं किसी के साथ अन्याय हो रहा है तो उसके पक्ष में न्याय करना, रोज की दिनचर्या में यह शामिल रहता था. सुबह से ही दूर-दराज के इलाके से लोग तरहसी स्थित उनके आवास पर जुटने लगते थे.
जो लोग आते थे, उनमें से एक-एक की समस्या सुनकर उसका यथासंभव निदान कराने के लिए भी सक्रियता के साथ लगे रहते थे. यही कारण है कि उन्होंने जनता के दिलों में अपनी जगह बनायी थी. राजनीतिक परिस्थितियां चाहे कितनी भी विपरित क्यों न हो, उनके इसी व्यवहार व गुण के कारण हमेशा पांकी विधानसभा क्षेत्र की जनता उनके साथ खड़ी रही. बात विकास की हो, या फिर विकास के साथ न्याय, इन दोनों कसौटियों पर वह खरा उतरे.
वहीं पांकी जिसका वर्ष 2005 के पहले पिछड़े व उपेक्षित क्षेत्र के रूप में चर्चा होती थी, पर विधायक विदेश सिंह की बदौलत ही यह क्षेत्र आज विकास के लिए जाना जा रहा है. पांकी से मेदिनीनगर जाना पूर्व में इतना आसान नहीं था, जितना आज है. तरहसी, मनातू की यात्रा तो कोई सोचकर भी नहीं कर पाता था.
भय के कारण संवेदक इलाके में नहीं आते थे. लेकिन विदेश सिंह ने उनमें विश्वास जगाने के लिए स्वयं रात-रात भर जागकर उस अमानत नदी पर पुल का निर्माण कराया, जिसे सिर्फ राजनीतिक मुद्दा ही बनाकर छोड़ दिया गया था. विधायक विदेश सिंह की जिद ने ही असंभव दिखने वाले काम को भी कराकर दिखाया. अब वही मनातू और तरहसी में वातावरण बदल गया है.
तरहसी का अमानत नदी पर पुल और मेदिनीनगर-पांकी पथ तो एक उदाहरण मात्र है, न जाने ऐसी कितनी योजनाएं वे क्षेत्र में लाये, जिसकी जरूरत वर्षों से महसूस की जा रही थी.
वह सदन में भी जाते थे तो इस बात का फिक्र नहीं करते थे कि मामला छोटा है या बड़ा. क्षेत्र की छोटी-छोटी समस्याओं को भी वह सदन में उठाने का काम करते थे. कोई भी मिलने जाये तो उससे आत्मियता के साथ मिलते थे. इलाके के लोगों के साथ न सिर्फ उनका राजनीतिक रिश्ता था, बल्कि इससे अलग सामाजिक रिश्ता और पारिवारिक रिश्ता जैसा माहौल बनाया था. जो भी उनके पास आमंत्रण लेकर गया, उसके आमंत्रण को सहर्ष स्वीकार करते थे.
देर चाहे जितनी भी हो जाये, लेकिन आमंत्रण की उपेक्षा न हो, इस बात का पूरा ख्याल रखते थे. देर रात में भी वह शादी-विवाह के आयोजन में लोगों के घर पहुंचते थे. विधायक विदेश सिंह की यही शैली उन्हें अन्य राजनीतिज्ञों से अलग करती थी. वह जनता के लिए थे तो जनता भी उनके लिए थी. मौत भी ऐसे ही आयी. क्योंकि सोमवार की रात उनकी मौत हुई. उसके कुछ देर पहले ही वह जनता के बीच में ही थे, जनता से इजाजत लेकर सोने जा रहे थे. पर कोई नहीं जानता था कि यह अंतिम मुलाकात और संवाद होगा.
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