वैसे, अभी जेसीएसओआइ का नया भवन अपने उदघाटन के लिए पूरी तरह तैयार नहीं है. पर मुख्य सचिव राजीव गौबा और कार्मिक सचिव रतन कुमार जेसीएसओआइ की संचालन परिषद के क्रमश: अध्यक्ष और सचिव हैं. उदघाटन की तिथि उनके प्रस्थान काे ध्यान में रखते हुए ही तय की गयी है. सरकार के एक वरीय अफसर कहते हैं : हमने सोचा कि मुख्यमंत्री से उदघाटन कराने का यही सही समय है.
जेसीएसओआइ के नये भवन के निर्माण पर पांच करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं. इस राशि से वहां एक जिम, लॉबी (एसी), रसोई, कार्ड रूम, योग क्लास रूम, कनवेक्शन सेंटर, बार, एक मल्टी चाइनीज रेस्टोरेंट व मीटिंग हॉल बनाया जाना है. इनके अलावा आठ वातानुकूलित सुइट बनाये जाने हैं. सामान्य तौर पर आइएएस क्लब के रूप में पहचाने जानेवाले जेसीएसओआइ में लॉन टेनिस, स्वीमिंग पुल और टेबल टेनिस की सुविधा वाला स्पोर्ट्स कांप्लेक्स भी तैयार किया जाना है. इनमें से एक भी अब तक नहीं बन सका है. जेसीएसओआइ सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत पंजीकृत है. यह गवर्निंग काउंसिल के 24 सदस्यों समेत कुल 207 सदस्योंवाली संस्था है. इसका उद्देश्य सिविल सेवा के अधिकारियों के कल्याण को बढ़ावा देना है. उनमें टीम भावना काे बढ़ावा देना है. अफसरों को सिविल सेवा के सभी पहलुओं से अवगत कराते हुए उनको बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रेरित करना है. साफ शब्दों में जेसीएसओआइ का उद्देश्य सेमिनार, सिंपोजियम, टॉक्स, डिवेट, लेक्चर जैसी कई चीजों का आयोजन कर अफसरों को सिविल एडमिस्ट्रेशन की आधुनिकतम चुनौतियों से परिचित कराना है. जेसीएसओआइ की अपनी वेबसाइट www.jcsoi.org पर इन सभी चीजों का उल्लेख किया गया है. जेसीएसओआइ का इतिहास लगभग 11 साल पुराना है. यह बूटी रोड में दीनदयाल नगर के पास 2.17 एकड़ जमीन पर स्थित है. नयी इमारत के पीछे इसकी अपनी पुरानी इमारत है. 60 के दशक में यह राज्य सरकार के वरीय अभियंता का आवास होता था.
बिहार से अलग होकर वर्ष 2000 में झारखंड अलग राज्य बन गया और इसे मंत्री के सरकारी निवास में बदल दिया गया. साल 2005 में तत्कालीन मुख्य सचिव मनोज कुमार मंडल ने पुरानी इमारत के पास एक साल का वृक्ष लगाया़ उस समय उनके साथ प्रधान सचिव संतोष कुमार सतपथी के अलावा मैं भी था. हम लोगों को वह पूरा परिसर एक भूत बंगले की तरह मालूम हो रहा था. बाद में, आरएस शर्मा राज्य के मुख्य सचिव बने. श्री शर्मा को ही जेसीएसओआइ के गठन का श्रेय जाता है और इसमें उनका पूरा साथ दिया संतोष सतपथी ने. यह सतपथी ही थे, जिन्होंने इसे एक बेहतर सरकारी संस्था के रूप में शुरू कराने का सपना देखा था. सपने को वास्तविकता में बदलने के लिए वर्षों तक मीलों चले. 10 साल से अधिक समय तक सुबह और शाम (नॉन ऑफिस आॅवर्स में) विभिन्न विभागों के प्रधान सचिव के रूप में अपना काम करने के अलावा उन्होंने मेहनत की है. उनके प्रयासों से जेसीएसओआइ का हरा-भरा वातावरण झारखंड के किसी भी स्टार होटल, कार्यालयों या अतिथिशाला से बेहतर है.