बदहाली में जिले का अनुसूचित जाित थाना
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अनदेखी. एक कमरे व बरामदे में चल रहा काम
बदहाली में जिले का अनुसूचित जाित थाना जिले में समाज के दबे कुचले लोगों को न्याय दिलाने के लिए सरकार ने अनुसूचित जाति व जनजाित थाने की स्थापना की है, लेकिन इस थाने में एक थानाध्यक्ष को छोड़ कर और किसी के बैठने तक की जगह नहीं है़ दूसरों को न्याय दिलानेवाला थाना खूद ही […]
जिले में समाज के दबे कुचले लोगों को न्याय दिलाने के लिए सरकार ने अनुसूचित जाति व जनजाित थाने की स्थापना की है, लेकिन इस थाने में एक थानाध्यक्ष को छोड़ कर और किसी के बैठने तक की जगह नहीं है़ दूसरों को न्याय दिलानेवाला थाना खूद ही बदहाली की स्थिति में संचालित हो रहा है
पिछले वर्ष के एक दर्जन कांडों में चल रही पड़ताल
बक्सर : बक्सर जिले की आबादी 17 लाख से ऊपर है, जिसमें करीब 28 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति और जनजाति की है. लेकिन, आबादी के हिसाब से न तो उनके न्याय की व्यवस्था है और न ही अनुसूचित जाति/जनजाति थाने में सुविधाएं ही हैं. मात्र एक कमरा और छोटे से बरामदे में यह थाना चलता है.
थाने में एक जिप्सी है, जो पुरानी है और काम चलने भर है. पुराने भवन में यह थाना पिछले चार वर्षों से चल रहा है. यहां उन चार सालों में न तो कोई संसाधन बढ़ा और न ही कोई मैन पावर, जिसके कारण बदहाली की स्थिति में यह थाना जिले के अनुसूचित जाति/जनजाति जैसी बड़ी आबादी की रखवाली का जिम्मा संभाले हुए है.
थाने में बैठने तक की नहीं है जगह : वर्तमान में अनुसूचित जाति/जनजाति थाना एक छोटे से कमरा में चल रहा है, जिसमें थानाध्यक्ष के अतिरिक्त किसी अन्य के बैठने की तक की जगह नहीं है. थाना के मुंशी कमरा से बाहर बरामदे में टेबल-कुरसी लगाये बैठे रहते हैं. गरमी के मौसम में न ही दोनों स्थानों पर सिलिंग फैन है और न ही स्टैंड फैन. गरमी में बेहाल होकर थाना के कर्मी काम करने को विवश हैं. थाना में वायरलेस भी नहीं है.
वायरलेस सिर्फ शोभा की वस्तु बनी है. उससे कोई संवाद प्रेषण या आगमन नहीं होता है. एक जिप्सी पुराने थाने को आवंटित है, जिससे पेट्रोलिंग या अन्य कार्य किये जाते हैं. जानकारी के अनुसार अनुसूचित जाति/जनजाति थाना के पूर्व थानाध्यक्ष ने अपने पैसे से सिलिंग फैन खरीद कर लगवाया था और स्थानांतरण के बाद उसे खुलवा कर साथ लेते चले गये. नये थानाध्यक्ष को सरकारी तौर पर अब तक पंखा का आवंटन नहीं हुआ है, जिससे इस गरमी में बिना पंखे के रहने, बैठने और काम करने को विवश हैं. पीने के पानी के लिए एक चापाकल गड़ा है और एक पुराना शौचालय भी है
जिससे थाना में तैनात कर्मियों की दिनचर्या होती है.
नये भवन में जाने का हो रहा इंतजार : कहने को तीन मार्च, 1912 को बक्सर जिले में अनुसूचित जाति/जनजाति थाना का गठन हुआ.थाना के गठन के बाद से इसके विस्तार का कोई काम नहीं हुआ. हालांकि अनुसूचित जाति/जनजाति थाना के लिए नया भवन बनाया जा रहा है, जिसका निर्माण कार्य लगभग पूरा होने की स्थिति में है.
निर्माण पूरा होते ही अनुसूचित जाति/जनजाति थाना को नये भवन में शिफ्ट कर दिया जायेगा. जिसके बाद परेशानियों से यह थाना उबर जायेगा.
एक साल पहले के मामलों में हो रही जांच : वर्ष 2014-15 में अगर अनुसूचित जाति/जनजाति थाना के आंकड़े देखे जाये, तो करीब एक दर्जन मामले थाने में लंबित हैं, जिसका अनुसंधान चल रहा है. जिले के विभिन्न थानों में अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों के मामले सैकड़ों में हैं. क्योंकि जहां घटना होती है मामले वहीं दर्ज हो जाते हैं.इसके अतिरिक्त बीते वर्ष के सभी मामलों में थाने ने जांच पड़ताल कर और अपना पर्यवेक्षण पूरा कर चार्ज शीट दाखिल कर दिया है.
क्या कहते हैं थानाध्यक्ष
अनुसूचित जाति/जनजाति थाना के थानाध्यक्ष दिनेश्वर प्रसाद कहते हैं कि नया भवन बन कर तैयार होनेवाला है और उस भवन में दूसरी मंजिल तक लगभग काम पूरा कर लिया गया है. प्लास्टरिंग का काम लगभग पूरा हो चला है. ऐसे में नये भवन में जाने के बाद सारी समस्याएं स्वत: खत्म हो जायेंगी.
जिले में समाज के दबे कुचले लोगों को न्याय दिलाने के लिए सरकार ने अनुसूचित जाति व जनजाित थाने की स्थापना की है, लेकिन इस थाने में एक थानाध्यक्ष को छोड़ कर और किसी के बैठने तक की जगह नहीं है़ दूसरों को न्याय दिलानेवाला थाना खूद ही बदहाली की स्थिति में संचालित हो रहा है
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