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रीति-रिवाजों को बचाने पर हुआ विचार

रांची. आदिवासी सरना समिति धुर्वा द्वारा रविवार को धुर्वा सरना स्थल पर सरना युवा सम्मेलन का आयोजन किया गया. मौके पर जातिगत व धार्मिक आधार पर आदिवासी समुदाय की जनसंख्या में कमी होने, दूसरे समुदाय के साथ समाज के युवाओं द्वारा विवाह संबंध बनाने और आरक्षण का लाभ लेने, विवाह से पूर्व चुमावन प्रथा सहित […]

रांची. आदिवासी सरना समिति धुर्वा द्वारा रविवार को धुर्वा सरना स्थल पर सरना युवा सम्मेलन का आयोजन किया गया. मौके पर जातिगत व धार्मिक आधार पर आदिवासी समुदाय की जनसंख्या में कमी होने, दूसरे समुदाय के साथ समाज के युवाओं द्वारा विवाह संबंध बनाने और आरक्षण का लाभ लेने, विवाह से पूर्व चुमावन प्रथा सहित अन्य बिंदुअों पर वक्ताअों ने विचार रखे. सरना समिति धुर्वा के अध्यक्ष मेघा उरांव ने सम्मेलन के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला.

इस अवसर पर शिवा कच्छप ने कहा कि आदिवासी समुदाय को अपनी भाषा-संस्कृति को संजोकर रखना होगा. इससे मुंह मोड़ना बेवकूफी होगी. आदिवासी समुदाय का अस्तित्व धर्म समाज की एकजुटता से ही कायम रह सकता है. विवाह से पूर्व चुमावन की गलत परंपरा को कुछ लोग बढ़ावा दे रहे हैं. अभय भुंटकुंवर ने कहा कि समाज के पढ़े-लिखे युवा दूसरे समुदाय में विवाह संबंध जोड़ रहे हैं, इससे समाज को नुकसान पहुंच रहा है.

इससे पूर्व सम्मेलन की शुरुआत प्रार्थना से की गयी. कार्यक्रम में धुर्वा के पंचन होरो पाहन, हातमा के जगलाल पाहन, रिझू पाहन, मंगरा पाहन सहित अन्य को पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया गया. सम्मेलन में राजू लकड़ा, शीतल उरांव, बहुरा उरांव, रवि खलखो सहित अन्य लोग उपस्थित थे.

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