मुंबई: वास्तविक ब्याज दर के सकारात्मक रहने और मुद्रास्फीति नियंत्रण में रहने से निजी क्षेत्र की खपत में वृद्धि होना तय है, ऐसे में आर्थिक वृद्धि दर बेहतर होगी और यह 1998-2002 के पुनरुद्धार चक्र से बेहतर होगी. ब्रोकरेज कंपनी मोर्गन स्टेनले इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है.
मोर्गन स्टेनले के चेतन आह्या द्वारा तैयार इस रिपोर्ट में 1998 से 2002 की अवधि तथा 2013 में शुरू मौजूदा नरमी के चक्र के दौरान वृहद मानकों के साथ-साथ सूक्ष्म मानदंडों की आपस में तुलना की गयी है जो कि काफी समान लगते हैं. आह्या ने ‘मैक्रो इंडिकेटर्स चार्ट-बुक: 1998-2002 चक्र की याद दिलाने वाला?’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘हमारा अनुमान है कि निजी खपत में आने वाला सुधार 1998-02 के पिछले चक्र की तुलना में मजबूत होगी.
इस लिहाज से कुल मिलाकर हमारा मानना है कि आर्थिक वृद्धि पूर्व चक्र की तुलना में बेहतर रहेगी, हालांकि, 2004-07 की तुलना में अपेक्षाकृत यह धीमी होगा.’ रिपोर्ट के अनुसार निजी खपत और सार्वजनिक पूंजी व्यय द्वारा चालू चक्र में घरेलू मांग में पुनरुद्धार जल्दी ही होने वाला है जो कि 1998-02 चक्र में नहीं था.इसमें यह भी कहा गया है कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किये जाने तथा नये रोजगार सृजन के साथ निजी खपत में और तेजी आने की संभावना है.
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