लखनउ : भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर ने ‘वकालत’ के प्रति अपना लगाव जाहिर करते हुए आज कहा कि वह दिल से अभी भी वकील हैं.
न्यायमूर्ति ठाकुर यहां इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनउ पीठ के नये भवन के उद्घाटन के मौके पर बोले, ‘‘यकीन दिलाता हूं कि मैं बेशक 22 साल से जज हूं लेकिन दिल में अभी भी वकील ही हूं यदि संविधान में सूरत होती वापस आने की तो मैं वकालत करता’ वह ये चर्चा करनी भी नहीं भूले कि वकालत शुरू करने की स्थिति में वह ‘प्रैक्टिस’ कहां करेंगे.
उन्होंने कहा, ‘‘अगर विकल्प मिलता तो लखनउ में करता. इतना खूबसूरत कोर्ट, कमरे मुल्क में और कहां?’ न्यायमूर्ति ठाकुर ने लखनउ पीठ के जिस नवनिर्मित भवन की तारीफ की, वह लाल और गुलाबी पत्थरों से बना है और उसके निर्माण पर 1,386 करोड़ रुपये की लागत आयी है. इसका परिसर 40. 2 एकड़ में फैला है.
नवनिर्मित भवन में आधुनिक तकनीक से लैस अदालत कक्ष, विशिष्ट शैली का कांफ्रेंस हाल और पुस्तकालय, बेहतरीन लाइटिंग सिस्टम और इंटीरियर, वकीलों और टाइपिस्टों के लिए अलग ब्लाक, अत्याधुनिक जिम, फीजियोथेरेपी और योग केंद्र समेत पांच हजार चारपहिया एवं 15 हजार दोपहिया गाड़ियों की पार्किंग व्यवस्था है. अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस इस परिसर में रेलवे आरक्षण केंद्र, बैंक, पुलिस चौकी, पुलिस बैरक और फायर स्टेशन भी होगा.