सभी बच्चे उत्क्रमित उच्च विद्यालय बालमगढ़िया के, इनमें 26 छात्राएं शामिल
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बालमगढ़िया के 35 बच्चों ने पायी सफलता
सभी बच्चे उत्क्रमित उच्च विद्यालय बालमगढ़िया के, इनमें 26 छात्राएं शामिल विगत वर्ष भी इस स्कूल के बारह छात्र-छात्राओं ने हासिल की थी सफलता सफलता के पीछे स्कूल के शिक्षक संजय की अहम भूमिका राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा मधेपुरा : एक ओर जब देश में हर तरफ स्कूलों की स्थिति को लेकर विश्व बैंक की […]
विगत वर्ष भी इस स्कूल के बारह छात्र-छात्राओं ने हासिल की थी सफलता
सफलता के पीछे स्कूल के शिक्षक संजय की अहम भूमिका
राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा
मधेपुरा : एक ओर जब देश में हर तरफ स्कूलों की स्थिति को लेकर विश्व बैंक की रिपोर्ट पर चर्चा हो रही थी और यह खबर विभिन्न समाचार पत्रों की सुर्खिंयां बन रही थी. उसी दौरान जारी राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा 2016 के रिजल्ट में मधेपुरा के एक गांव की छात्राएं इतिहास रच रही थीं. सदर प्रखंड के बालमगढ़िया गांव में एक ही सरकारी स्कूल के 35 बच्चों ने इस परीक्षा में सफलता हासिल की है. इन 35 सफल बच्चों में 26 छात्राएं ही हैं.
लेकिन, इस सफलता के पीछे उस विद्यालय की नहीं, बल्कि विद्यालय के एक शिक्षक संजय कुमार की अहम भूमिका है, जिन्होंने अपनी जीवन का लक्ष्य गांव के वंचित तबके से आने वाले छात्र-छात्राओं के भविष्य को बना लिया है. संजय विद्यालय के बाद घर पर ही नि:शुल्क पढ़ाया करते हैं. उनके इस काम में स्कूल के ही शिक्षक मनीष भी उनकी मदद करते हैं.
सांसद शरद यादव ने लिया है गोद
जिला मुख्यालय से करीब नौ किमी दूर बालमगढ़िया जाते हुए सड़क के आसपास स्थित घरों को देखते हुए यकीन करना कठिन था कि इनकी दीवारों पर गोयठा थापते हुए हाथों ने सफलता की नयी इबारत लिखनी शुरू कर दी है. इस पंचायत में ही दो गांव हैं बालम और गढ़िया. इस पंचायत को सांसद शरद यादव ने गोद लिया हुआ है. इसे आदर्श पंचायत घोषित किया गया है.
खुद भी पढ़ती, दूसरों को भी रीजनिंग बताती
गढ़िया गांव की आठवीं की छात्रा आरती की आंखों में इस सफलता ने दृढ़ निश्चय भर दिया है. उसकी दो साल की मेहनत रंग लायी. वह खुद पढ़ने के साथ-साथ संजय सर की कक्षा में दूसरे बच्चों को रीजनिंग का अभ्यास कराती है. पिता देवानंद यादव थोड़ी बहुत किसानी और राजमिस्त्री का काम करते हैं. कहते हैं बेटी जब तक पढ़ना चाहेगी, वह पढ़ायेंगे. उनकी आवाज में विश्वास है. आरती की मां कुमोद देवी अनपढ़ हैं, लेकिन वह आरती को घर का काम नहीं करने देती, ताकि उनकी बेटी कुछ बन सके.
बंधनों से जूझते हुए इरादों को रखा रोशन
इन्हीं दो गांव की मनीषा, किरण, लक्ष्मी, निशी, मौसम, खुश्बू, इशरत खातून, प्रियंका, रेणु कुमारी, कलावती कुमारी, कोमल प्रिया आदि ऐसी छात्राओं के नाम हैं, जिन्होंने गरीबी, समाज और घर की बंधनों से जूझते हुए अपनी इरादों को रोशन रखा. उनकी इस सफलता पर पूरा गांव समाज झूम उठा है. वहीं नीतीश कुमार राम, राजू कुमार, निरंजन कुमार, लोचन कुमार राम, नीतीश कुमार आदि छात्र के मां-बाप मजदूरी किया करते हैं. हाल यह है कि नीतीश कुमार राम की मां शिक्षक संजय से पूछने आयी कि ये तो खेत पर काम भी नहीं करता और कहता कि कुछ पास कर गया है, क्या यह सही है?
नौ नवंबर को हुई थी परीक्षा
विगत वर्ष नौ नवंबर को आयोजित इस परीक्षा में बुधवार तक जारी रिजल्ट में पूरे जिले से अब तक 84 छात्राएं और छात्र सफल हुए हैं. बिहार सरकार के शिक्षा विभाग की वेबसाइट http://www.educationbihar.gov.in/ पर जारी रिजल्ट में रोल नंबर 320162002001 से 320162002586 सफल छात्र छात्राओं के हैं. इनमें से 35 बच्चे केवल उत्क्रमित उच्च विद्यालय बालमगढिया के छात्राओं और छात्र के हैं. जिले में सफल छात्र छात्राओं का आंकड़ा एक सौ तक जाने की संभावना जतायी जा रही है.
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