अब तक डॉक्टर्स समझ रहे थे कि खतरनाक जीका वायरस केवल एक विशेष प्रकार के मच्छरों में ही पाया जाता है. लेकिन हाल ही में हुई एक विशेष जाँच के बाद वैज्ञानिकों ने इस और फिर से नए शोध करना शुरू कर दिए हैं.
इस जाँच के अनुसार, ब्राजील के वैज्ञानिकों ने आम मच्छर कोएक्सिअल में भी जीका वायरस का पता लगाया है. इसका मतलब कि आम मच्छर भी इस वायरस से जुड़ी बीमारी को फैला सकता है.
यह जांच 200 से ज़्यादा कोएक्सिअल मच्छरों पर की गई. इसके परिणामों का अभी परिक्षण किया जा रहा है और अभी तक ऐसी कोई पुष्टि नहीं की गई है, जिससे पता चल सके कि कोएक्सिअल मच्छर मानव शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है.
इस बात को मान कर वैज्ञानिक, जीका वायरस की दवा खोज रहे थे कि जीका वायरस मच्छरों से ही फैलता है. एडीज मच्छर से डेंगू और चिकनगुनिया भी फैलता है. यह खोज रियो-डि-जनेरियो स्थित ओस्वाल्डो क्रूज फाउंडेशन (फियोक्रूज) ने की है. इसके चलते उन्होंने जीका वायरस पर आयोजित एक सेमिनार में इसकी घोषणा की है.
फियोक्रूज के शोधकर्ता अब जीका वायरस वाले प्रभावित इलाकों में कोएक्सिअल मच्छर के नमूनों की खोज कर रहे हैं. ताकि सुनिश्चित हो सके कि कोएक्सिअल मच्छर इस वायरस को किस हद तक फैलाते हैं.
शोधकर्ताओं का कहना है कि ब्राजील के शहरों में एडीज मच्छरों की तुलना में कोएक्सिअल मच्छर 20 गुना ज़्यादा हैं. इस तरह के मच्छर दुनियाभर में पाए जाते हैं और वे गंदे पानी में ही पैदा होते हैं.
वहीं, जीका वारयस फैलाने वाला एडीज मच्छर साफ पानी में पैदा होते हैं. कोएक्सिअल का शहरी क्षेत्रों में फैलाव सफाई नहीं रहने की वजह से होता है. यह देश के गरीब इलाकों के लिए एक गंभीर मुद्दा है.