हर अच्छी चीज़ के साथ कुछ बुरी बातें भी आती है इसी तरह ऑनलाइन के क्षेत्र में निरंतर आती व्यापारिक गति के साथ ही धोखाधड़ी भी बढ़ती जा रही है.
भारत में सबसे ज्यादा ऑनलाइन धोखाधड़ी तीन मामलों में होती है. पहली, घर बैठे काम (वर्क फ्रॉम होम), दूसरी लॉटरी और तीसरी नकली बैंक ईमेल से ठगी.
एक सर्वेक्षण के अनुसार, इन कारणों को जानने के बाद लोगों में जागरूकता बढ़ी है, लेकिन रोजाना ही ठगी के मामले सामने आ रहे हैं.
नार्वे स्थित टेलीनार कंपनी द्वारा गुरुवार को जारी ‘इंटरनेट ठगी‘ नाम की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में इंटरनेट का तेजी से विस्तार हो रहा है. उसी तेजी से ठग भी नए-नए शातिराना तरीकों से उपभोक्ताओं की निजी जानकारियां चुरा रहे हैं.
टेलीनार इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शरद मल्होत्रा ने कहा कि भारत में इंटरनेट के माध्यम से धोखाधड़ी की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं जिस पर ध्यान देने की जरूरत है और हम अपने ग्राहकों की इंटरनेट सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध हैं.
‘वर्क फ्रॉम होम‘ धोखाधड़ी के तहत उपभोक्ता को कभी भुगतान नहीं मिलता है. यहां तक विभिन्न बहानों से उन्हीं से रकम ऐंठ ली जाती है. इसमें या तो कोई काम शुरू करने के नाम पर ऑनलाइन धन वसूल लिया जाता है या फिर कंप्यूटर पर घर बैठे काम कराया जाता है और बदले में कुछ भी भुगतान नहीं किया जाता है.
सर्वेक्षण में शामिल एक चौथाई लोगों ने कहा कि वे ‘लॉटरी ठगी‘ के शिकार हुए हैं. इसमें उपभोक्ताओं को बड़ी रकम इनाम में मिलने की बात कही जाती है और कस्टम फीस या अन्य किसी बहाने से ठग अपने खातों में रकम डालने को कहते हैं. इस तरह इनाम तो मिलता नहीं और अपने पास के पैसे भी लोग डुबा बैठते हैं.
भारत में ऑनलाइन ठगी के कारण प्रति व्यक्ति वित्तीय हानि का आंकड़ा 8,19,000 रुपए का है जबकि एशिया के देशों का औसत आंकड़ा 6,81,070 रुपए है.
इस सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 50 फीसदी लोगों का मानना था कि लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है.
वहीं, 60 फीसदी लोगों का कहना था कि यह जिम्मेदारी वेबसाइट की है. जबकि कुल मिलाकर 80 फीसदी लोगों ने स्वीकार किया कि ऑनलाइन खतरों से बचने की जिम्मेदारी खुद अपनी है. उन्होंने कहा कि धोखेबाजों और ठगों को जेल भेजा जाना चाहिए.