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कार्यावधि समाप्त होने के बाद भी होता रहा भुगतान

देवघर: देवघर के कुमैठा स्थित स्पोर्ट‍्स कॉम्प्लेक्स के निर्माण में पीएचजी के ऑडिट के दौरान मेसर्स इंडियन प्रोग्रेसिव कंस्ट्रक्क्शन कंपनी के ठेकेदार को बगैर मापी के 14.10 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. भवन निर्मााण प्रमंडल देवघर की ओर से कार्य आवंटित किया गया है. ठेकेदार को 14.10 करोड़ रुपये कुल 10 किस्तों भुगतान […]

देवघर: देवघर के कुमैठा स्थित स्पोर्ट‍्स कॉम्प्लेक्स के निर्माण में पीएचजी के ऑडिट के दौरान मेसर्स इंडियन प्रोग्रेसिव कंस्ट्रक्क्शन कंपनी के ठेकेदार को बगैर मापी के 14.10 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. भवन निर्मााण प्रमंडल देवघर की ओर से कार्य आवंटित किया गया है. ठेकेदार को 14.10 करोड़ रुपये कुल 10 किस्तों भुगतान किया गया है.

एग्रीमेंट के अनुसार, सात जून 2014 को स्पोटर्स कॉम्प्लेक्स का कार्य पूरा कर लिया जाना था. लेकिन, विभाग की ओर से इतनी भी निगरानी नहीं हुई कि कार्य अवधि की समाप्ति के बाद भी ठेकेदार को भुगतान रोका जाये. बगैर मेजरमेंट बुक किये ही धड़ल्ले से 30 सिंतबर 2015 तक ठेकेदार को अंतिम भुगतान किया गया है. पहला भुगतान सात जनवरी 2013 को हुआ था. पूरे स्पोर्टस कॉम्प्लेक्स में कुल 30 अलग-अलग कार्य है. इनमें प्ले ग्राउंड से लेकर पवैलियन व गार्डेन तक के कार्य हैं. अभियंताअों द्वारा अलग-अलग कार्य की मापी किये बगैर सीधे डिजाइन के आधार पर पैसा ठेकेदार को भुगतान होता गया.

लोवेस्ट की जगह एबव में मिला काम
कुमैठा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में प्रतिस्पर्धा में भी मेसर्स इंडियन प्रोग्रेसिव कंस्ट्रक्क्शन कंपनी को लोवेस्ट की जगह एबव पर कार्य आवंटित किया गया. 14.76 करोड़ रुपये के स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का कार्य कंपनी को 38 फीसदी अधिक दर 19.89 करोड़ रुपये में मिला.

विभागीय अभियंता के अनुसार कार्य अवधि समाप्त होने की तिथि के डेढ़ वर्ष बाद भी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स निर्माण पूर्ण करने में 35 फीसदी कार्य बाकी है.
पीएजी की रिपोर्ट को नहीं मानते अभियंता
कॉम्प्लेक्स के निर्माण में पीएजी की ऑडिट रिपोर्ट को भवन निर्माण प्रमंडल देवघर के अभियंता मानने से इंकार कर रहे हैं. कुमैठा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का कार्य देख रहे भवन प्रमंडल के सहायक अभियंता रामविलास सिंह का कहना है कि पीएजी को ऑडिट की जानकारी सही ढंग से नहीं है. एग्रीमेंट के अनुसार टर्न-की के आधार पर ठेकेदार के भुगतान किया गया है. टर्न-की के अनुसार बड़े कार्यों में मेजरमेंट बुक करने की जरुरत नहीं है.

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