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कुलपति से पूछताछ कागजात की जांच

जांच. जेपी विवि पहुंची निगरानी की टीम विश्वविद्यालय के कर्मियों व अधिकारियों ने बंद रखा अपना मोबाइल छपरा : हाइकोर्ट के आदेश पर निगरानी एवं अन्वेषण ब्यूरो की विशेष टीम मंगलवार को जयप्रकाश विश्वविद्यालय में हुए वित्तीय अनियमितता, अधिकारियों के कार्यकलाप व अन्य मामलों की जांच करने पहुंची. निगरानी टीम ने घंटों विवि के कुलपति […]

जांच. जेपी विवि पहुंची निगरानी की टीम

विश्वविद्यालय के कर्मियों व अधिकारियों ने बंद रखा अपना मोबाइल

छपरा : हाइकोर्ट के आदेश पर निगरानी एवं अन्वेषण ब्यूरो की विशेष टीम मंगलवार को जयप्रकाश विश्वविद्यालय में हुए वित्तीय अनियमितता, अधिकारियों के कार्यकलाप व अन्य मामलों की जांच करने पहुंची.

निगरानी टीम ने घंटों विवि के कुलपति डॉ लोकेशचंद्र एवं अन्य अधिकारियों से पूछताछ की तथा संबंधित संचिकाएं व कागजात की मांग की एवं उनका अवलोकन किया. निगरानी की टीम पहुंचने पर विवि मुख्यालय में दहशत का माहौल महसूस हुआ. पूरा दिन सन्नाटा रहा व अधिकारियों व कर्मियों के मोबाइल तक शांत पड़े रहे. न तो कोई किसी को बताने की स्थिति में था और ना ही कार्यालय से अंदर या बाहर निकलने की स्थिति में.

संबद्ध कॉलेज जांच के केंद्र में : निगरानी की जांच के केंद्र में विवि के 11 संबद्ध कॉलेज रहे. हाइकोर्ट ने कॉलेजों को सरकार द्वारा मिलने वाले अनुदान राशि में भारी वित्तीय अनियमितता की आशंका जाहिर करते हुए निगरानी को विशेष जांच कर रिपोर्ट देने को आदेशित किया है.

ज्ञात हो कि वर्तमान कुलसचिव प्रो अशोक कुमार ने प्रो अर्जुन राय को डीबीएसडी कॉलेज कदना का एक माह का प्राचार्य नियुक्त किया था. साथ ही उन्हें वित्तीय अधिकार भी दे दिये गये थे. इस निर्णय के खिलाफ निरंजन शर्मा ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर स्वयं को प्राचार्य बनाये जाने का आग्रह किया था. उन्होंने अपनी याचिका में प्रो अर्जुन के वित्तीय अनियमितता के मामले का जिक्र भी करते हुए उनके प्राचार्य बनने के औचित्य पर प्रश्न चिन्ह लगाया था. कोर्ट ने मामले के अध्ययन के बाद वित्तीय अनियमितता केवल कदना कॉलेज में होने की बजाये विवि के सभी संबद्ध कॉलेजों को शक के दायरे में रखते हुए सभी की जांच करने की जरूरत जतायी.

अधिकारियों के क्रियाकलाप की भी जांच

निगरानी टीम के एक माह के लिए वित्तीय प्रभार के साथ प्राचार्य बनाने को लेकर वर्तमान कुलसचिव प्रो अशोक कुमार के कार्यकलाप को भी जांच के दायरे में लिया है. वहीं पूर्व कुलपति डीके गुप्ता एवं रजिस्ट्रार आरपी बबलू के कार्यकाल में भी हुए वित्तीय कार्यों की जांच की जा रही है. सरकार द्वारा संबद्ध कॉलेजों को प्राप्त होने वाले अनुदान की राशि के खर्चे व हिसाब किताब की गड़बड़ी को निगरानी टीम बारिकी से देख रही है.

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