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कालाजार से मुक्त होगा जिला

अभियान. विशेष शिविर लगा कर की जा रही रोगियों की पहचान कालाजार को समूल नष्ट करने के लिए कीटनाशक दवा के छिड़काव के साथ ही यह भी जरूरी है कि एक-एक कर कालाजार के रोगियों की खोज की जाये और उनका उपचार किया जाये. इसलिए अभियान में इस पर जोर दिया जा रहा है. स्वास्थ्य […]

अभियान. विशेष शिविर लगा कर की जा रही रोगियों की पहचान
कालाजार को समूल नष्ट करने के लिए कीटनाशक दवा के छिड़काव के साथ ही यह भी जरूरी है कि एक-एक कर कालाजार के रोगियों की खोज की जाये और उनका उपचार किया जाये. इसलिए अभियान में इस पर जोर दिया जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिले में कालाजार उन्मूलन अभियान चलाया जा रहा है. इसके लिए जिले भर में 80 टीमें गठित की गयीं हैं.
हाजीपुर : वैशाली जिले को कालाजार से मुक्त कराया जायेगा. स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिले में कालाजार उन्मूलन अभियान चलाया जा रहा है. इसके लिए जिले भर में 80 टीमें गठित की गयीं हैं.
सभी प्रखंडों में गांव स्तर पर विशेष शिविर लगा कर कालाजार के रोगियों की पहचान की जा रही है और इस खतरनाक बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है. हर प्रखंड के पांच राजस्व गांवों में ये शिविर लगाये जा रहे हैं, जिनमें आसपास के गांवों को शामिल किया जा रहा है. हर टीम में चिकित्सक के अलावा लैब टेक्नीशियन, कालाजार तकनीकी सुपरवाइजर, एएनएम और आशा को शामिल किया गया है.
10 मार्च से शुरू होगा एसपी का छिड़काव : कालाजार के कीटाणुओं को खत्म करने के लिए 10 मार्च से जिले भर में सिंथेटिक पाराथेराइड नामक दवा का छिड़काव किया जायेगा. 10 मार्च से शुरू होनेवाले छिड़काव के लिए कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. एसपी छिड़काव के लिए खास कर उन गांवों को चिह्नित किया गया है, जो पहले से कालाजार से प्रभावित रहे हैं. जिले में कालाजार प्रभावित 995 गांवों और नगर निकायों के 65 वार्डों में सिंथेटिक पाराथेराइड का छिड़काव होगा. इसके लिए पर्याप्त मात्रा में दवा का स्टॉक कर लिया गया है.
सिंगल डोज से होता है कालाजार का इलाज : जिले में कालाजार को समूल नष्ट करने के लिए कीटनाशक दवा के छिड़काव के साथ ही यह भी जरूरी है कि एक-एक कर कालाजार के रोगियों की खोज की जाये और उनका उपचार किया जाये.
इसलिए अभियान में इस पर जोर दिया जा रहा है कि जहां भी ऐसे मरीज मिलें, जिनमें लंबे समय से बुखार, कमजोरी, भूख की कमी और पेट में सूजन के लक्षण दिखाई दें, उनकी रैपिड जांच की जाये. आरके-39 कीट से जांच के बाद यदि कालाजार का रोग पाया जाता है, तो एंबीसोम नामक दवा के सिंगल डोज से उनका उपचार किया जायेगा. मालूम हो कि कालाजार के इलाज के लिए नये परीक्षण की विधि और एक खुराक दवा से इलाज की पद्धति शुरू की गयी है.
गरीब व कमजोर वर्ग के लोग होते हैं शिकार : कालाजार का संक्रमण बालू मक्खी के काटने से होता है.समय पर इसका इलाज न हो, तो इस बीमारी से लोगों की मौत हो जाती है. संक्रमित मादा बालू मक्खियां इस रोग के जीवाणु को मनुष्यों में डाल देती हैं. ये मक्खियां आम तौर पर ग्रामीण वातावरण में पनपती हैं, जहां घर की दीवारें और र्फश मिट्टी के होते हैं, जहां लोगों के आवास के पास मवेशियों का बसेरा होता है. यही वजह है कि कालाजार जैसी जानलेवा बीमारी ज्यादातर गरीब एवं कमजोर वर्ग के लोगाें में पायी जाती है. बालू मक्खियों के काटने के काफी समय बाद कालाजार के लक्षण प्रकट होने के कारण आसानी से इसकी जांच नहीं हो पाती है. जानकार बताते हैं कि बालू मक्खी के काटने के 2 से 6 महीने के बीच इसके लक्ष्ण प्रकट होते हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
कालाजार के एक भी मरीज को बिना उपचार के यदि छोड़ दिया जाये, तो यह अगल-बगल के लोगों के लिए घातक हो सकता है. यह एक संक्रामक और खतरनाक रोग है. इसलिए एक-एक मरीज को खोज कर उनका इलाज करना ही अभियान का मुख्य उद्देश्य है. इसके लिए लोगों में जागरूकता भी जरूरी है.
डाॅ इंद्रदेव रंजन, सिविल सर्जन

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