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जेएनयू प्रकरण पर बोले यूपी के राज्यपाल, विश्वविद्यालयों में ‘मर्यादा” भी जरूरी

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने जेएनयू प्रकरण पर राज्य के भी कुछ विश्वविद्यालयों में हुई प्रतिक्रिया के बीच आज यहां कहा कि उच्च शिक्षण संस्थाओं में वैचारिक विमर्श तो जरूरी है लेकिन इसमें मर्यादा और दायित्व का भी ध्यान रखा जाना चाहिए. नाईक ने कुलाधिपति की हैसियत से राज्य विश्वविद्यालयों में […]

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने जेएनयू प्रकरण पर राज्य के भी कुछ विश्वविद्यालयों में हुई प्रतिक्रिया के बीच आज यहां कहा कि उच्च शिक्षण संस्थाओं में वैचारिक विमर्श तो जरूरी है लेकिन इसमें मर्यादा और दायित्व का भी ध्यान रखा जाना चाहिए. नाईक ने कुलाधिपति की हैसियत से राज्य विश्वविद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की दिशा में हो रहे प्रयासों की जानकारी देने के लिए आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में वैचारिक विमर्श को बढ़ावा देना जरूरी है मगर इसमें मर्यादा और दायित्व का ध्यान रखा जाना चाहिए.उन्होंने जेएनयू प्रकरण को लेकर हुए अन्य सवालों को टाल दिया.

इससे पूर्व महिला दिवस की पूर्व संध्या पर उन्होंने प्रदेश के विश्वविद्यालयों में छात्राओं की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के नारे के अनुकूल छात्राओं की उपलब्धियां शानदार रही हैं.

उन्होंने बताया कि प्रदेश के 25 में से 20 विश्वविद्यालयों का दीक्षांत समारोह संपन्न हो चुका है और इस दौरान वितरित 635930 लाख उपाधियों में से लगभग 40 प्रतिशत छात्राओं के हिस्से गयी हैं मगर उत्कृष्ट प्रदर्शन के मामले में वितरित कुल 1196 पदकों में से 67 प्रतिशत पर छात्राओं का कब्जा रहा है. नाईक ने बताया कि हर तरह के पदकों और मेडलों में 60 प्रतिशत से अधिक छात्राओं के पक्ष में गये हैं, जो इस बात का प्रमाण हैं कि संख्या के हिसाब से छात्राओं की संख्या भले ही कम हो मगर उत्कृष्टता के मामले में वे छात्रों से खासा आगे हैं.

उच्च शिक्षा को महिला सशक्तिकरण का प्रतिबिंब बताते हुए उन्होंने कहा कि राजनैतिक क्षेत्र में आरक्षण प्रदान कर नीति निर्धारण एवं समाज के विकास में महिलाओं की सहभागिता समय की मांग है. सवालों के जवाब में नाईक ने बताया कि कई विश्वविद्यालयों में बड़ी संख्या में शिक्षकों के पद रिक्त हैं और उन्हें भरने की दिशा में कदम उठाये जा रहे हैं.

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