दोहरा हत्याकांड. मनीष और पूनम के हत्या मामले में उलझती जा रही पुलिस
नेहरू नगर में 19 फरवरी को मनीष ने अपने छोटे भाई की पत्नी पूनम की गोली मार कर हत्या कर दी थी. इसके बाद उसने खुद सुसाइड कर लिया था. मनीष की जेब से मिले सुसाइड नोट में मनोज का नाम लिखा है, लेकिन मनीष की मनोज से वर्षों से बात नहीं हुई है. ऐसे में सुसाइड नोट पर सवाल उठने लगे हैं. आखिर मनोज का नाम कैसे आया.
विजय सिंह
पटना : मनीष और पूनम की मौत के बाद चल रहा पुलिसिया अनुसंधान घटना के कारण की तलाश में और गहरे रहस्य में डूब गया है. मनीष के सुसाइड नोट में पिस्टल खरीदने के लिए जिसे माध्यम बताया गया है, वह मनीष का 22 साल पुराना दोस्त मनोज है. दोनों यूपी के मुजफ्फरनगर में एग्रीकल्चर की पढ़ाई एक साथ की थी.
दोनों क्लासमेट रहे हैं, लेकिन मनोज ने पुलिस के सामने जो बयान दिया है, उसके मुताबिक कॉलेज की पढ़ाई के बाद दोनों अपनी-अपनी नौकरी में लग गये. इसके बाद दोनों में विशेष ताल्लुक नहीं रहा. फोन पर बातचीत के भी प्रमाण नहीं मिले हैं. लेकिन, मनीष ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि मनोज ने ही उसे 55 हजार रुपये में वह पिस्टल दिलायी थी, जिससे उसने भाई की पत्नी की हत्या के बाद खुद को गोली मार ली.
अब जांच का विषय यह है कि सुसाइड नोट झूठा है या फिर मनोज. अगर सुसाइड नोट झूठा या बनावटी है, तो दोनों की मौत की वजह बड़ी हो सकती है. पुलिस अब इस पर जांच कर रही है.
आखिर वर्षों पुराने दोस्त का नाम कौन डाला : दरअसल मनीष की पाॅकेट से सुसाइड नोट मिलने के बाद मनोज की तलाश शुरू हुई. पुलिस को पता चला कि बिहार के विक्रम का रहनेवाला मनोज नवादा में प्रखंड तकनीकी प्रबंधक के पद पर तैनात है. पुलिस ने उसे उठा लिया और उससे पूछताछ की. मनोज ने बताया कि वह मनीष का क्लासमेट रहा है.
वर्ष 1995 में दोनों यूपी के मुजफ्फरनगर में एग्रीक्लचर स्कूल में पढ़ाई की थी. इसके बाद उससे कोई संपर्क नहीं रहा है. पुलिस ने उसके फोन का कॉल डिटेल भी निकाला, पर दोनों के बीच बातचीत का कोई प्रमाण नहीं मिला. ऐसे में पुलिस एक तरह से मनोज को क्लीन चिट दे चुका है, लेकिन उसका नाम सुसाइड नोट में डालने की वजह को लेकर मामला गोल-गोल घूम रहा है.
किचेन में घुस कर मारी थी पूनम को गोली. गौरतलब है कि 19 फरवरी की सुबह साढ़े नौ बजे मनीष नीचे उतरा और सीधे किचेन में चला गया. वहां अविनाश की पत्नी पूनम खाना बना रही थी.
अविनाश कुछ काम से घर से बाहर निकला हुआ था. उसने पूनम के सिर में सटा कर गोली मार दी. इससे उसकी घटनास्थल पर ही मौत हो गयी. इसके बाद वह सीढ़ियों से चढ़ता हुआ अपने फ्लैट में पहुंचा और वहां उसने अपने कमरे के बाहर खुद भी कनपटी में गोली मार ली. मनीष की भी घटनास्थल पर मौत हो गयी. लेकिन खास बात यह थी कि घर में मां व बहन के रहने के बाद भी उन्हें पता नहीं चला था.
पाटलिपुत्र थाने के नेहरू नगर में मौजूद मकान नंबर 296 में रहनेवाले मनीष के परिवार में चार महिलाएं, तीन पुरुष और दो बच्चे थे. इसमें मनीष की मां, बहन, तीन भाई, छोटे भाई की पत्नी पूनम और मनीष की पत्नी और उसके दो बच्चे शामिल हैं. दूसरे नंबर का भाई रजनीश, छोटा भाई अविनाश, मां और बहन की मानसिक हालत ठीक नहीं है.
पुलिस के मुताबिक 19 फरवरी की सुबह मनीष ने पूनम की गोली मार कर हत्या कर दी और फिर तीसरी मंजिल पर जाकर मनीष ने अपनी कनपट्टी में गोली मार कर सुसाइड कर लिया. शुरुआत में यह मामला मामूली लग रहा था, लेकिन जांच के बाद इसमें नाटकीय मोड़ आ गया है. हालांकि पुलिस का कहना है कि घर में चार लोगों की मानसिक स्थिति ठीक नहीं रहने से मनीष पर काफी दबाव था.
अब एफएसएल व हैंड राइटिंग एक्सपर्ट पर पुलिस की नजर
पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिल चुकी है. वहीं पुलिस के लिए एफएसएल रिपोर्ट महत्वपूर्ण हो गयी है. उस रिपोर्ट में पुलिस यह देखेगी कि मनीष ने जिस हाथ से पिस्टल का ट्रिगर दबाया था, उस हाथ की कलाई पर बारूद की गंध थी या नहीं. अभी यह रिपोर्ट आनी बाकी है.
दूसरी रिपोर्ट हैंड राइटिंग एक्सपर्ट की होगी. सुसाइड नोट मनीष की जेब से मिला था. अब पुलिस को यह पता लगाना है कि सुसाइड नोट को मनीष ने ही लिखा था या फिर किसी और ने कोई खिचड़ी पकायी है. इसकी रिपोर्ट हैंड राइटिंग एक्सपर्ट से ही पता चलेगा. इसके बाद ही पुलिस कुछ कहने की स्थिति में रहेगी.