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डर से या लोभ से चुप रहना देशद्रोह: शौरी

अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे अरुण शौरी ने कहा है कि सरकार के ग़लत कामों की आलोचना न करना भी देशद्रोह है. जयपुर में हिंदी अख़बार पत्रिका के एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने ये बातें कही. शौरी ने कहा, "देशद्रोह क्या है, ये सरकार हो या वो सरकार हो. कोई भी सरकार […]

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अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे अरुण शौरी ने कहा है कि सरकार के ग़लत कामों की आलोचना न करना भी देशद्रोह है.

जयपुर में हिंदी अख़बार पत्रिका के एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने ये बातें कही.

शौरी ने कहा, "देशद्रोह क्या है, ये सरकार हो या वो सरकार हो. कोई भी सरकार हो नागरिकों की ज़िम्मेदारी ये सुनिश्चित करना है कि सरकार चुस्त-दुरुस्त बनी रहे. तारीफ़ की ज़रूरत हो तारीफ़ करो, आलोचना की ज़रूरत हो आलोचना करो."

उन्होंने कहा, "अगर सरकार कुछ ग़लत कर रही है और आप उसकी आलोचना नहीं कर रहे हैं तो आप देश को शर्मिंदा कर रहे हैं."

उन्होंने कहा, "डर से या लोभ से चुप रहना भी देशद्रोह है."

इस बयान के कुछ देर बाद ही अरुण शौरी ट्विटर पर ट्रेंड भी करने लगे.

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प्रोग्रेसिव इंडियन (@ProgressiveQX) ने लिखा, "अरुण शौरी जैसे बुद्धिजीवी को छोड़ने का ज़ोख़िम उठाने वाली सरकार कितनी ग़ुमराह होगी जबकि स्मृति ईरानी जैसों को जगह दी गई."

राजीराजन (@ModiClub) लिखते हैं, "कभी अरुण शौरी के लिए सम्मान होता था. लेकिन अब नहीं. वे भी एक और अत्याधिक स्वच्छंद और असंतुष्ट कांग्रेसी कठपुतली निकले."

रशीद कप्पन ने लिखा, "लोगों को बेवकूफ़ बनाना बंद करो. आपके पुराने भाषण सुने हैं जिसमें आप भी सामाजिक सौहार्द के ख़िलाफ़ ज़हर उगल रहे हैं. वैचारिक बदलाव दिखावा है."

अभय मिश्रा (@abhay8nitt) लिखते हैं, "शौरी जी इतना ड्रामा क्यों..क्योंकि सरकार में कोई भूमिका नहीं मिल सकी."

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