मीरपुर : खेलों में उपलब्धियों को आंकड़ों से जोडकर देखा जाता है और यही वजह है कि कप्तान मशरेफ मुर्तजा के बांग्लादेश क्रिकेट पर प्रभाव और उनके योगदान का सही आकलन नहीं किया जा सकता लेकिन क्रिकेट के दीवाने इस मुल्क के नूरे नजर हैं मुर्तजा. अब तक 78 टेस्ट, 204 वनडे और 35 टी20 मैच खेल चुके 32 बरस के मुर्तजा बांग्लादेश के महानतम खिलाड़ियों में से हैं हालांकि उन्हें शाकिब अल हसन या मुस्तफिजुर रहमान की तरह सितारों का दर्जा हासिल नहीं है.
इसके बावजूद वह बांग्लादेशी क्रिकेटप्रेमियों के चहेते हैं क्योंकि वह उनके बीच से निकले हैं और सहजता से अपेक्षाओं का बोझ उठाते आये हैं. वह शायद अकेले राष्ट्रीय कप्तान होंगे जो अपनी लक्जरी कार छोड़कर अभ्यास के लिए मैदान पर साइकिल रिक्शा से चले जाते हैं. वह ऐसे इंसान हैं जो स्थानीय पत्रकार की चुनौती का पूरी गरिमा से सामना करते हैं जिसने उनके मुंह पर कह डाला कि तुम्हारी टीम एशिया कप में एक भी मैच नहीं जीतेगी. मशरेफ ने उनसे कहा ,‘‘ मैं यह चुनौती स्वीकार करता हूं और फाइनल में पहुंचने तक एक शब्द भी नहीं कहूंगा.” फाइनल में पहुंचने के बाद उसी पत्रकार ने बड़ी चुनौती को लेकर सवाल दागा तो मशरेफ ने मुस्कुराकर कहा ,‘‘ लेकिन आपने ही कहा था कि हम एक भी मैच नहीं जीतेंगे.” स्थानीय मीडिया को एशिया कप में टीम के फाइनल तक पहुंचने का भरोसा नहीं था और अधिकांश ने टी20 विश्व कप के लिए पांच मार्च को कोलकाता या दिल्ली की टिकटें बुक करा ली है.
एक पत्रकार ने मशरेफ से पूछा ,‘‘ समझ नहीं आ रहा कि क्या करूं क्योंकि मैने पांच मार्च को धर्मशाला की टिकट बुक करा ली है.” इस पर उन्होंने मुस्कुराकर कहा ,‘‘ धर्मशाला चले जाओ. फाइनल देखकर क्या करोगे.” कल शेर ए बांग्ला स्टेडियम का प्रेस बाक्स ‘ फैन जोन’ बन गया था जिसकी भारत में कल्पना भी नहीं कर सकते क्योंकि यहां अभिनव बिंद्रा, सुशील कुमार, साइना नेहवाल, सानिया मिर्जा जैसे क्रिकेट से इतर भी खेल चैंपियन हैं. बांग्लादेश में हालांकि सिर्फ क्रिकेटर की उनके चैंपियन है. धौनी को ‘कैप्टन कूल’ कहा जाता है लेकिन मशरेफ उनसे कम कूल नहीं हैं.
दो ओवर की मैच जिताने वाली साझेदारी में उन्होंने महमूदुल्लाह से क्या कहा , यह पूछने पर कप्तान ने कहा ,‘‘ सामान्य बातचीत हुई. मैने आमिर को दो चौके लगाये और समी के ओवर से पहले महमूदुल्लाह ने मुझसे पूछा कि क्या इसके खिलाफ जोखिम लेना है. मैंने कहा कि तुम तय करो क्योंकि खराब गेंद को नसीहत देना जरूरी है. मैं चाहता था कि वह विजयी शाट लगाये क्योंकि पाकिस्तान के खिलाफ 2012 एशिया कप फाइनल की यादें उसके जेहन में थी जब वह करीबी मैच नहीं जिता सका था.”