सिलीगुड़ी. सातवें वेतन आयोग के सिफारिशों के खिलाफ रेलवे के इंजीनियरों ने भी केन्द्र सरकार के खिलाफ मोरचा खोल दिया है. इन लोगों का कहना है कि सातवें वेतन आयोग के सिफारिश के अनुसार उनके वेतन में मामुली रूप से वृद्धि होगी. पूर्वोत्तर सीमा रेलवे के कटिहार डिवीजन रेलवे के अधीन कार्य कर रहे रेलवे इंजीनियरों ने एनएफ रेलवे इंप्लाइज एसोसिएशन के बैनरतले एनजेपी में एक बैठक की. इस बैठक को संगठन के कन्वेनर विप्लव दासगुप्ता तथा महासचिव शिवाजी दास ने संबोधित किया. इन लोगों ने रेलवे में कार्यरत इंजीनियरों को ग्रुप-बी का दर्जा देने की मांग की है.
श्री दासगुप्ता ने कहा कि डीओपीटी ने वर्ष 2009 में ही इंजीनियरों (जेई तथा एसएसई) को ग्रुप-बी का दर्जा देने का निर्देश दिया है. जहां सभी विभागों ने इस आदेश का पालन किया है, वहीं रेलवे में अभी भी इसकी उपेक्षा जारी है. इसकी वजह से इंजीनियरों के वेतन में लगातार कमी आ रही है. जेई के वेतन में 48 सौ रुपये की वृद्धि होनी चाहिए, जबकि इसमें 42 सौ रुपये की ही वृद्धि हो रही है. इसी तरह से एसएसई के वेतनमान में भी 54 सौ रुपये के स्थान पर 46 सौ रुपये की बढ़ोत्तरी हो रही है.
श्री दासगुप्ता ने आगे कहा कि सातवें वेतन आयोग में इंजीनियरों के साथ न्याय नहीं किया गया है. रेलवे के इंजीनियर तमाम विपरीत परिस्थितियों में काम करते हैं. सुरक्षा की बहुत बड़ी जिम्मेदारी उन पर होती है. इंजीनियर रेलवे के रीढ़ हैं. उसके बाद भी उनकी महत्ता की अनदेखी की जा रही है. उन्होंने कहा कि उनकी मांगों को लेकर प्रधानमंत्री को भी ज्ञापन दिया जा चुका है. करीब सौ सांसदों को भी चिट्ठी दी गई है. कई सांसदों ने इस मुद्दे को लोकसभा एवं राज्यसभा में उठाने का वादा भी किया है. आज के इस बैठक को ऑल इंडिया रेलवे इंप्लाइज फेडरेशन के महासचिव संजीव कुमार ने भी टेली कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित किया.