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जाति ही नहीं, मूल व गोत्र पर भी जीत का दावा
हसरतें परवान पर, बढ़ने लगी सरगरमी कुमार आशीष सहरसा नगर : पंचायत चुनाव को लेकर प्रखंड क्षेत्र के पंचायतों में सरगरमी तेज हो गयी हैं. त्रिस्तरीय पंचायत के जनप्रतिनिधि से लेकर पूर्व में भाग्य आजमा चुके नेताजी भी एक दूसरे की पोल खोलने में लगे हुए है. आरक्षण रोस्टर जारी होने के बाद उम्मीदवार बनने […]
हसरतें परवान पर, बढ़ने लगी सरगरमी
कुमार आशीष
सहरसा नगर : पंचायत चुनाव को लेकर प्रखंड क्षेत्र के पंचायतों में सरगरमी तेज हो गयी हैं. त्रिस्तरीय पंचायत के जनप्रतिनिधि से लेकर पूर्व में भाग्य आजमा चुके नेताजी भी एक दूसरे की पोल खोलने में लगे हुए है. आरक्षण रोस्टर जारी होने के बाद उम्मीदवार बनने का दावा करने वाले लोग अपने-अपने हिसाब से जातीय गणित को सटीक बता जीत की गारंटी भी देने लगे है. इधर चुनाव की घोषणा हो जाने से वर्तमान जनप्रतिनिधियों के चेहरे पर जनता के बीच लेखा जोखा पेश करने की परेशानी स्पष्ट देखी जा रही है. कई नई चेहरे स्वयं या अपनी पत्नी को सामने लाकर पद पाने को आतुर दिख रहे है. तो वर्तमान में काबिज जनप्रतिनिधि रुके हुए विकास कार्य को आगे बढ़ा जनता को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रहे हैं. संभावित चेहरे अपनी जीत की गणना करने में जाति व मजहब से आगे मूल व गोत्र के आधार पर भी वोट गिनना शुरू कर चुके है.
एक पूर्वज के वंशज हैं
लोकसभा व विधानसभा चुनावों में राजनीतिक दलों द्वारा जाति व धर्म का सहारा लेकर वोटरों को बहकाने की बात आम बन गयी है. लेकिन पंचायत चुनाव में एक गांव व परिवार के लोग आमने-सामने लड़ते हैं. जहां जातीय गणित के बूते जीत के दावे बेमानी लगते हैं. ऐसे में उम्मीदवार जातिय व्यवस्था के बाद वोटरों की वंश व्यव्स्था का मूल व गोत्र टटोलने लगे हैं. समान गोत्र के लोगों को सामाजिक व्यवस्था के अनुरूप गोलबंद करने की मुहिम शुरू हो चुकी है. जिसमें सवर्ण से लेकर पिछड़ी जातियां तक चुनावी कूटनीति से एक बार फिर आंतरिक स्तर पर विखंडित होने की कगार पर पहुंच चुकी है.
जीत सर्वोपरि, दरक रही दोस्ती की दीवार
कल तक जो प्रतिनिधियों के खास लोगों में शामिल थे, आज वहीं उनके विरोध में दो-दो हाथ करने को आतुर दिख रहे हैं. आरक्षण की बयार में दशकों की दोस्ती भी दरक रही है. जो कभी चुनाव जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते थे. वही अब स्वयं की जीत सुनिश्चित करने के उद्देश्य से तैयारी में व्यस्त है.
जारी है पोस्टर व फ्लेक्स का दौर
चुनाव से पूर्व जनता के बीच अपनी दावेदारी जताने के लिए संभावित प्रत्याशियों द्वारा पोस्टर, पंपलेट व फ्लेक्स बोर्ड के माध्यम से शुभकामना भी प्रेषित की जा रही हैं. गांव के हाट बाजार से लेकर चौक-चौराहों पर बैनर पोस्टर की भरमार लगी हुई है. जिसमें महिलाओं की तादाद सबसे ज्यादा है. कुछ महिला बढ़ चढ़ कर उम्मीदवारी देने के लिए आश्वस्त नजर आ रही हैं. तो कुछेक को सामने लाने की कवायद में परिजन जुटे हुए हैं.
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