मलेरिया का बढ़ता प्रकोप मच्छरों पर इस्तेमाल होने वाली कीटनाशक दवा को लगातार कम करता जा रहा है इसके लिए हाल ही में वैज्ञानिकों ने कीटनाशक मच्छरदानी विकसित की है.
हालिया हुए के शोध के अनुसार यह बात सामने आई है कि कीटनाशक मच्छरदानी मेलरिया के बचाव में अधिक कारगर है.
शोधार्थियों ने पाया है कि कीटाणुनाशक डेल्टामीथ्रिन प्रतिरोधी क्षमता विकसित करने के बावजूद मच्छर के पेट में मलेरिया परजीवी के विकास प्रक्रिया को रोक देती है. जबकि मलेरिया पर काबू पाने में मच्छरों में कीटनाशकों के प्रति प्रतिरोध की क्षमता विकसित हो जाना बड़ी चुनौती है.
लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल से जुड़े इस अध्ययन के मुख्य लेखक जो लाइन्स ने बताया कि हमारे शोध से यह पता चलता है कि मच्छरों में प्रतिरोध क्षमता विकसित होने के बावजूद क्यों कीटाणुरोधी मच्छरदानी आंशिक रूप से प्रभावी साबित हो रहे हैं.
यह अध्ययन अफ्रीका में पाए जाने वाले मलेरिया परजीवी मच्छर एनोफीलीज गैंबी पर किया गया था. शोध दल ने सभी मच्छरों को मलेरिया संक्रमित रक्त चढ़ाया. इनमें से एक समूह का कीटाणुनाशकों से उपचार किया और एक हफ्ते बाद उसमें मलेरिया परजीवी के विकास की जांच की.
अध्ययन के निष्कर्षों से पता चला कि कीटाणुनाशक उपचार किए गए मच्छरों में मलेरिया परजीवी का कम संक्रमण था. इससे यह पता चलता है कि प्रतिरोध क्षमता विकसित करने वाले मच्छर कीटनाशकों के संपर्क में जिंदा तो बचे रहते हैं, लेकिन उनके अंदर मौजूद मलेरिया परजीवियों पर रसायन का असर जरूर होता है.
अध्ययन में शामिल लंदन स्कूल ऑफ हाईजीन एंड ट्रोपिकल मेडीसीन के शोधार्थी कातेकेगन एबेईकू ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण परिणाम है, जिससे पता चलता है कि कीटनाशक उपचारित मच्छरदानी उन क्षेत्रों में जहां मच्छरों ने अपने अंदर प्रतिरोधी क्षमता विकसित कर लिया है, मलेरिया पर काबू पाने में काफी कारगर है.
यह शोध ‘पैरासाइट्स एंड वेक्टर्स‘ नाम के जर्नल में प्रकाशित किया गया है.