बंगाल की दिग्गज अभिनेत्रियों में नाम है दिवंगत अभिनेत्री सुचित्रा सेन का.
सुचित्रा सेन ने भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री को कई यादगार फ़िल्में दीं जिनमें संजीव कुमार के साथ ‘आंधी’, दिलीप कुमार के साथ ‘देवदास’, धर्मेंद्र के साथ ‘ममता’ शामिल हैं.
सुचित्रा सेन की झलक नज़र आती है उनकी नातिन और सेन परिवार की तीसरी पीढ़ी की अदाकारा राइमा सेन में.
अपनी नई फ़िल्म ‘बॉलीवुड डॉयरीज़’ के प्रमोशन के सिलसिले में बीबीसी से मिलने आई राइमा ने अपने फ़िल्मी परिवार, सुचित्रा सेन की विवादित बायोपिक और ख़ुद के बॉलीवुड से दूर रहने की वजहों पर ख़ुलकर बात की.
सुचित्रा सेन और मुनमुन सेन के अभिनय में हाथ आज़माने के बाद मुनमुन की बेटियां रिमी और राइमा सेन भी अभिनय जगत में हैं.
आमतौर पर फ़िल्मी परिवारों में बेटों को हीरो बनाने की पीढी-दर-पीढ़ी परंपरा रही है लेकिन सेन परिवार में पीढ़ी-दर-पीढ़ी अभिनेत्रियां बॉलीवुड में आई हैं.
हालांकि राइमा बॉलीवुड में उतना काम नहीं कर पाईं जितना उनके परिवार से उम्मीद थी. इस पर वह कहती हैं, "बॉलीवुड मुश्किल जगह है और यहां ख़ुद को साबित करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है."
अपने परिवार से मिलने वाली मदद को लेकर वह कहती हैं, "मैं फ़िल्मी परिवार से थी तो उस वजह से मुझे मेरा पहला ब्रेक आसानी से मिला, लेकिन मैं जानती हूँ कि उस मौक़े को भुनाने में असफल रही."
राइमा जानती हैं कि बॉलीवुड में बार-बार मौक़े नहीं मिलते. ऐसे में वे अपनी नई फ़िल्म को दूसरी शुरुआत मान रही हैं, "मैं अपने करियर में थोड़ी लापरवाह या कह सकते हैं आलसी रही. मैं ऑडिशन देने नहीं गई. काम मांगने नहीं गई और इसी से ‘मोहब्बतें’ और ‘डेल्ही बेल्ही’ जैसी फ़िल्में मुझसे छूट गईं."
राइमा का नाम हाल ही में उनकी नानी सुचित्रा सेन की ज़िदंगी पर बन रही एक बायोपिक को लेकर भी आया था.
राइमा ताती हैं, "दो साल पहले मुझे उनकी (सुचित्रा लेन) बायोपिक में मुख्य रोल के लिए चुना गया पर अंतिम समय में में डेट को लेकर नाराज़ फ़िल्मकार विद्या बालन के पास चले गए पर विद्या ने भी फ़िल्म को न कह दिया."
1979 के बाद अभिनेत्री सुचित्रा सेन ने सार्वजनिक जीवन से संन्यास ले लिया था.
उनके साथ बिताए अपने पलों को याद कर राइमा कहती हैं, "वह हमें अक्सर सलाह देती थीं कि किस तरह कपड़े पहनें और किस तरह के किरदार चुनें."
सेन परिवार सुचित्रा सेन के जीवन पर बायोपिक बनने से उत्साहित हैं.
राइमा सेन कहती हैं, "नानी पर फ़िल्म बननी ही चाहिए. मैं चाहूँगी कि उनकी बायोपिक जब भी बने मणिरत्नम या संजय लीला भंसाली निर्देशन करें."
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