मुंबई : पुणे की यरवदा जेल से आज सुबह रिहा हुए अभिनेता संजय दत्त ने कहा कि वह आतंकवादी नहीं हैं और 1993 के श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों के मामले में दोषी ठहराये जाने की कडवी यादों को पीछे छोड़ देना चाहते हैं.
56 वर्षीय दत्त ने यहां बांद्रा स्थित अपने घर पर लौटने के बाद मीडिया से बातचीत में कहा, ‘‘मैं आतंकवादी नहीं हूं. मुझे टाडा के तहत आरोपों और साजिश रचने के आरोपों से बरी कर दिया गया है. उच्चतम न्यायालय ने भी मुझे आईपीसी की धारा 120-बी और टाडा के तहत आरोपों से बरी कर दिया था.
मुझे शस्त्र अधिनियम के तहत सजा दी गयी थी.’ दत्त ने कहा, ‘‘मैं मीडिया से अनुरोध करता हूं कि जब भी मेरे खिलाफ लिखें या जिक्र करें तो मेरे नाम के सामने 1993 के विस्फोटों के मामले को नहीं लिखें.’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं 23 साल से इस क्षण का इंतजार कर रहा हूं… आजादी के लिए. मैंने सबकुछ किया. इस अनुभव से उबरने में थोड़ा समय लगेगा.’ दत्त ने कहा, ‘‘मैं आज अपने पिता (सुनील दत्त) की कमी महसूस करता हूं. काश वह जीवित होते और यह दिन देखते. अगर वह जिंदा होते तो सबसे ज्यादा खुश होते.’ मुंबई पहुंचने के बाद 56 वर्षीय दत्त सिद्धिविनायक मंदिर गये और अपनी मां नर्गिस दत्त की कब्र पर श्रद्धांजलि देने भी पहुंचे.
उन्होंने कहा, ‘‘वह (नर्गिस) गुजर गयीं, जब हम बहुत छोटे थे. मैं उनका आशीर्वाद लेने गया था क्योंकि आज में आजाद हूं.’ पुणे की यरवदा जेल से आज सुबह निकलने के तत्काल बाद संजय ने धरती को चूमा. वह 2013 से वहां बंद थे. उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपनी धरती मां को प्यार करता हूं. मैं यहां पैदा हुआ हूं.
मुझे भारतीय होने पर गर्व है.’ न्यायमूर्ति पी डी कोडे द्वारा दत्त को विस्फोटों के मामले में साजिश के आरोप से बरी किये जाने के बारे में पूछे जाने पर अभिनेता ने कहा, ‘‘अदालत ने कहा था कि मैं आतंकवादी नहीं हूं. वह बड़ी बात थी. उच्चतम न्यायालय ने भी इसे बरकरार रखा. काश मेरे पिता यह सुनने के लिए जीवित होते.’ सजा के दौरान कई बार छूट और फरलो दिये जाने पर हुई आलोचनाओं के संबंध में दत्त ने कहा, ‘‘यह गलत सोच है. इसका मेरे सेलिब्रिटी होने से कोई लेनादेना नहीं है क्योंकि मुझे कई सारी चीजें नहीं करने दी गयीं.
बल्कि हो सकता है कि सेलिब्रिटी होना मेरे खिलाफ रहा हो.’ जब दत्त से पूछा गया कि जेल में कल उनका आखिरी दिन कैसा बीता तो उन्होंने कहा कि वह सोये नहीं और पिछले चार घंटे से उन्होंने कुछ नहीं खाया. संजय ने अपनी पत्नी मान्यता के बारे में पूछे गये सवाल पर कहा कि वह उनकी ‘‘बेटर हाफ नहीं, बेस्ट हाफ हैं.’ उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं कमजोर हो रहा था तो वह मेरी ताकत बन रहीं थीं.
मुझे लगता है कि उन्होंने मुझसे ज्यादा सहा क्योंकि उन्हें दो बच्चों की परवरिश भी करनी थी. फैसले लेने थे.’ जेल में अपने पारिश्रमिक के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने हल्के फुल्के अंदाज में कहा, ‘‘अच्छे पति की तरह मैंने सारा पैसा अपनी पत्नी को दे दिया.’ उन्होंने कहा, ‘‘अब मैं अपना समय अपने परिवार और बच्चों के साथ बिताना चाहूंगा.’ घर लौटने के बाद सबसे पहले क्या किया, इस सवाल पर दत्त ने बताया कि उन्होंने सबसे पहले घर की चाय पी.
संजय दत्त की जीवनी पर बन रही एक फिल्म में रणवीर कपूर के उनका किरदार करने के बारे में सवाल पर दत्त ने कहा, ‘‘मैं उसे प्यार करता हूं.’ उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने जेल में कुछ दोस्त बनाये. वे सब मुझे प्यार करते हैं और मेरी इज्जत करते हैं.