बजट डेस्क
नरेन्द्र मोदी की सरकार में सुरेश प्रभु की गिनती बेहद प्रतिभाशाली मंत्रियों में होती है. महाराष्ट्र राज्य से ताल्लुक रखने वाले प्रभु कामर्स में स्नातक हैं. उन्होंने मुंबई यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री भी ली है. पेशे से चार्टड अकाउटेंट सुरेश प्रभु पिछली एनडीए सरकार में भी मंत्री थे.
बतौर मंत्री उन्होंने वाजपेयी सरकार के शासन काल में उद्योग मंत्रालय, वन व पर्यावरण मंत्रालय और ऊर्जा मंत्रालय संभाला. ऊर्जा मंत्रालय में कई ऐसे महत्वपूर्ण कदम उठाये, जिसका देश पर सकरात्मक प्रभाव पड़ा. प्रतिष्ठित मैगजीन "एशियावीक" ने इन्हें देश के तीन सबसे प्रतिभावान लीडर की रेटिंग दी थी.
महाराष्ट्र के राजापुर से सांसद रहे सुरेश प्रभु के रेल मंत्री बननेकी राह में कई अड़चनें थीं. इसमें सबसे बड़ी बाधा थी कि सुरेश प्रभु शिवसेना पार्टी से संबंध रखते थे.जब भाजपा ने उन्हें शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे से मंत्री बनाने की इच्छा व्यक्त की तो ठाकरे ने भाजपा से कहा कि उन्हें वह अपने कोटे से ही मंत्री बनाये.ऐसी हालत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विवाद की परवाह नहीं करते हुए सुरेश प्रभु को पहले भाजपा का सदस्य बनाया, फिर कैबिनेट मंत्री की शपथ दिलाकर राज्यसभा भेजा.
सुरेश प्रभु प्रोफेशनल ढंग से काम करने के लिए जाने जाते हैं. आमतौर पर देश में रेल मंत्री बजट के दौरान अपने गृह राज्य सहित अन्य जगहों के लिए नयी ट्रेनों के परिचालन की घोषणा करते रहे हैं, लेकिन सुरेश प्रभु का मानना है कि भारत में रेलवे ट्रैक पर पहले से ही जरूरत से ज्यादा ट्रेनों का बोझ है, ऐसी हालत में नयी ट्रेनों की घोषणा से रेलमार्गों की व्यस्तता बढ़ जायेगी. लिहाजा ट्रेनें देर से पहुंचती हैं. हालांकि अब भी सुरेश प्रभु के पास रेलवे में लागत कम करने से लेकर निवेश बढ़ाने तक की चुनौती है.
रेल मंत्रालय संभालने के बाद उन्होंने यात्री सुविधाएं बढ़ाने पर जोर दिया. सोशल मीडिया साइट का उपयोग किया. उन्होंने यात्रियों के फीडबैक लिये. आज रेल मंत्री ने संसद में घोषणा करते हुए कहा कि मंत्रालय एक लाख लोगों को हर दिन शिकायत व फीडबैक के लिए संपर्क करती है. पढ़ने के शौकीन सुरेश प्रभु तमाम व्यस्तताओं के बावजूद "क्लाइमेट चेंज" से पीएचडी भी कर रहे हैं.