अनियमित लाइफस्टाइल के चलते कई लोग बीपी और डायबीटीज जैसी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं लेकिन इन बढ़ती समस्याओं के गंभीर परिणामों के बारे में क्या आपने कभी सोचा है?
देश में क्रॉनिक किडनी रोग बढ़ रहा है और अगर समय रहते हम सचेत न हुए तो हमारी किडनी की कार्यप्रणाली क्षतिग्रस्त हो सकती है, किडनी फेल भी हो सकती है. यही नहीं, लापरवाही के कारण डायलसिस पर निर्भर रहना पड़ सकता है या किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ सकती है.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अनुसार, डायबिटीज और हाईपरटेंशन दो ऐसी समस्याएं हैं जो क्रॉनिक किडनी रोग के प्रमुख कारण हैं. हाई ब्लड प्रेशर और हाई ब्लड शुगर पर नियंत्रण करके सीकेडी के 50% मामलों और उससे जु़डी स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सकता है जिसमें जान जाने का भी खतरा होता है.
आम तौर पर क्रॉनिक किडनी रोग के लक्षण नजर नहीं आते और अचानक कभी ब्लड या यूरीन टेस्ट करवाने से इसका पता चलता है.
इस बारे में आईएमए के मानद महासचिव डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा कि क्रॉनिक किडनी रोग एक मूक मारक है, जो एक आम व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को नष्ट कर देता है. इसलिए जरूरी है कि क्रॉनिक किडनी रोग की जांच जल्दी हो जाए ताकि इसका इलाज हो सके.
उन्होंने कहा, हम अपनी किडनियों को बचा सकते हैं, अगर अपना निम्नतम ब्लड प्रेशर और भूखे पेट ब्लड शूगर 80 पर बनाए रखें. वजन संतुलित रखें.
हर साल किडनी की जांच करवाएं और डॉक्टर से ईजीएफआर टेस्ट के लिए कहें, किडनी के नुकसान की जांच जल्दी से जल्दी करवाएं.