बगहा (प. चंपारण) : जहरखुरानी के शिकार जानवरों की खोज के लिए वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगल में सोमवार को सर्च अभियान चलाया गया है. गनौली वन क्षेत्र के विभिन्न वन कक्षों में वन कर्मियों ने तलाशी ली. वन विभाग को आशंका है कि जहर मिले हिरण या सुअर का मांस खाकर अन्य जानवरों की मौत भी हो सकती है.
इस वजह से गनौली के प्रभारी रेंजर आरके सिन्हा के नेतृत्व में 20 वन कर्मियों की अलग-अलग टीम बना कर जंगल व झाड़ी वाले इलाकों में विशेष सर्च शेष पेज 13 पर
गनौली जंगल में
अभियान चलाया गया है. अभियान में घना जंगल व दुर्गम रास्ता होने के कारण उस इलाके को विशेष फोकस किया जा रहा है, जहां वन कर्मी गश्ती के लिए नहीं पहुंच पाते हैं.
वन संरक्षक सह निदेशक आरबी सिंह ने बताया कि वन व वन्य प्राणियों की सुरक्षा को लेकर जंगल में सर्च अभियान चलाया गया है. एहतियात के तौर पर यह अभियान लगातार चलता रहता है. हालांकि, उन्होंने जंगल में जहरखुरानी से किसी अन्य जानवर की मौत की संभावना से इनकार किया है. श्री सिंह ने बताया कि गत 20 फरवरी को बाघ का शव बरामद किया गया था. उस बाघ की मौत जहर की वजह से हुई है. बाघ के वेसरा को जांच के लिए फोरेंसिक लैब हैदराबाद भेजा गया है. रिपोर्ट आने के बाद खुलासा होगा.
कीटनाशक विक्रेताओं से पूछताछ
जहरखुरानी के शिकार बाघ मामले में हरनाटांड़ के खाद व कीटनाशक विक्रेताओं से सोमवार को वन विभाग के अधिकारियों ने गहन पूछताछ की. एक दर्जन खाद व कीटनाशक दुकानों की जांच भी हुई, लेकिन किसी दुकान से फ्यूराडॉन व इंडो सल्फास की बरामदगी नहीं हुई है. इस दौरान दुकानदारों के लाइसेंस की भी जांच हुई. बताया जाता है कि कई दुकानदारों के पास खाद व कीटनाशक बेचने का लाइसेंस नहीं है.
फ्यूराडॉन से बाघ की मौत!
वन विभाग के अधिकारियों को आशंका है कि फ्यूराडॉन व इंडो सल्फास से बाघ की मौत हुई है. इसलिए वन विभाग के अधिकारी हरनाटांड़ समेत आसपास के हाट बाजारों में अवस्थित खाद व कीटनाशकों की खोज कर रहे हैं.