नयी दिल्ली : दुनिया के सबसे बडे रिफाइनरी परिसर के मालिक अरबपति उद्योगपति मुकेश अंबानी का मानना है कि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम अभी तीन से पांच साल तक निचले स्तर पर बने रहेंगे, जिससे भारत जैसे शुद्ध आयातक देशों को फायदा होगा। अंबानी ने सीएनएन के फरीद जकारिया से एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘जो स्थिति हम देख रहे हैं, यह लंबे समय तक निचले स्तर पर है. पहली बार ऐसा हुआ है कि आपूर्ति बढने से तेल के दाम नीचे आए हैं.” देश के सबसे अमीर व्यक्ति अंबानी ने कहा कि पूर्व में भी तेल के दाम चढे हैं. लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ जब आपूर्ति मांग से अधिक होने की वजह से दाम घटे हों.
यह भी पहला बार हुआ है कि अमेरिका में नवोन्मेषण की वजह से भारी मात्रा में तेल है. उन्होंने कहा कि अमेरिका में तेल उत्पादन 10 लाख बैरल प्रतिदिन से कम था, जो आज बढकर 90 लाख बैरल प्रतिदिन पर पहुंच गया है. अंबानी ने कहा, ‘‘इस तरह की आपूर्ति से ओपेक के हाथ में नियंत्रण नहीं रह गया है. इस वजह से दुनिया में कच्चे तेल की अत्यधिक आपूर्ति हो गई है.” जकारिया पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने मुकेश अंबानी का दो बार साक्षात्कार लिया है. अंबानी का नेटवर्थ लगभग 20 अरब डालर है. रिलायंस इंडस्टरीज का बाजार पूंजीकरण 40 अरब डालर से अधिक है.
यह पूछे जाने पर कि इस तरह का परिदृश्य कब तक रहेगा, मुकेश अंबानी ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि कम से कम तीन से पांच साल तक, जबतक हम ढांचागत बदलाव नहीं देखते. हालांकि, मैं हमेशा गलत साबित हुआ हूं.” इसके प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर अंबानी ने कहा कि यह भारत जैसे देशों के लिए काफी अनुकूल स्थिति है, जो कच्चे तेल के सबसे बडे आयातकों में है. उन्होंने कहा कि इससे हमारे विदेशी विनिमय बिल में मदद मिलेगी. इससे सरकार के राजकोषीय घाटे में मदद मिलेगी, क्योंकि सरकार अधिक राजस्व जुटा पाएगी. तेल आयातक देशों के लिए यह स्थिति फायदे की है. उन्होंने कहा कि कुल आर्थिक आधार पर यह अपस्फीति की स्थिति बनेगी. हम सभी अपस्फीति के खतरों के बारे में जानते हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या इसका मतलब है कि केंद्रीय बैंकों को अधिक समय तक ब्याज दरों को निचले स्तर पर रखना होगा, अंबानी ने कहा, ‘निश्चित रुप से।’
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