सिलीगुड़ी: डंकन्स के चाय बागानों के केंद्र सरकार द्वारा अधिग्रहण की प्रक्रिया पर अदालती रोक लगने के बाद चाय श्रमिकों की परेशानी बढ़ गयी है और उनमें घोर निराशा कायम है. डंकन्स के भूख तथा बीमारी से परेशान जो चाय श्रमिक अधिग्रहण के बाद अपने तथा बागान के कायाकल्प की उम्मीद लगाये बैठे थे, उनको तगड़ा झटका लगा है. इन तमाम जटिलताओं को देखते हुए चाय श्रमिक एक बार फिर से नये सिरे से रणनीति बनाने में लगे हुए हैं.
चाय बागान संग्राम समिति के बैनरतले चाय बागानों तथा चाय श्रमिकों की समस्याओं को लेकर सिलीगुड़ी के हिलकार्ट रोड व्यवसायी समिति के सभागार में एक कन्वेंशन का आयोजन किया गया. इस कन्वेंशन को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि पहाड़ एवं तराई तथा डुवार्स के चाय श्रमिकों की समस्या किसी से छिपी हुई नहीं है. भूख और बीमारी की वजह से हर दिन ही किसी न किसी चाय श्रमिक की मौत हो रही है. लगातार श्रमिकों की मौत के बाद हर तरफ हो-हल्ला की स्थिति बनी हुई है.
सरकार तथा सरकारी अधिकारियों की तत्परता बढ़ी है. लेकिन वास्तिवक स्थिति यह है कि इतनी गहमागहमी के बाद भी चाय श्रमिकों को कोई लाभ नहीं हुआ है. अब तो यह मामला कोर्ट-कचहरी के चक्कर में भी फंस गया है. इस संगठन के कन्वेनर सुकमान मोख्तान ने कहा कि चाय श्रमिकों की स्थिति जस की तस बनी हुई है. उनकी समस्याओं के समाधान तथा चाय बागान कानून में संशोधन आदि की मांग को लेकर चरचा की गयी. उन्होंने कहा कि पहले राज्य सरकार पर चाय श्रमिकों की समस्या खत्म करने के लिए दवाब बनाया जायेगा. यदि उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती है, तो उन्होंने बड़े आंदोलन की भी धमकी दी. कन्वेंशन को संबोधित करते हुए उत्तर बंग विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर अभिजीत राय ने कहा कि चाय श्रमिकों की समस्या सरकार या अदालतें दूर नहीं कर सकतीं. बागान मालिकों को ही गरीब एवं लाचार चाय श्रमिकों की मदद करनी होगी.
चाय श्रमिकों की दयनीय स्थिति आज से नहीं है. यह वर्षों से चली आ रही है. सरकारें सिर्फ समस्या समाधान का दावा करती है. वास्तविक रूप में कुछ होता नहीं है. कन्वेंशन के दौरान चाय श्रमिकों के कल्याण के लिए कई मांगों से संबंधित एक प्रस्ताव भी पारित किया गया, जिसमें प्लांटेशन लेबर एक्ट 1951 में संशोधन की मांग सबसे प्रमुख है. इस कानून का पालन नहीं करने वाले चाय बागान मालिकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की भी मांग की गयी है.
कन्वेंशन में चाय श्रमिकों के लिए बेहतर आवास तथा जमीन एवं घर का पट्टा देने की भी मांग की गयी. किसानों को खेती की भी जमीन देने की मांग की जा रही है. कन्वेंशन के दौरान चाय श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी तय करने तथा इसको तत्काल लागू करने का प्रस्ताव भी पारित किया गया. कुल 11 सूत्री मांगों को लेकर इस कन्वेंशन में प्रस्ताव पारित किया गया है.