लंदन : हाल ही में गोपनीयता की सूची बाहर करते हुए जारी किए गए दस्तावेजों का कहना है कि 1980 के दशक में भारत का 27 ‘वेस्टलैंड 30′ हेलीकॉप्टर खरीदने के लाखों पाउंड के अनुबंध पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के मद्देनजर फैलीं ‘ब्रिटेन विरोधी भावनाएं’ हावी हो गयी थीं.
लंदन के नेशनल आर्काइव्स की ओर से कल गोपनीयता की सूची से बाहर किए गए दस्तावेजों में माग्ररेट थैचर के मंत्रिमंडल में व्याप्त उस डर को रेखांकित किया गया जिसका कहना था कि भारत खरीद की अपनी योजना को उलट सकता है और इससे पहले ही मुश्किलों से जूझ रही ब्रितानी विमान कंपनी प्रभावित हो सकती है.
रक्षा मंत्रालय की ओर से कैबिनेट कार्यालय को 10 जनवरी 1986 को दिए गए एक दस्तावेज में कहा गया, ‘‘वेस्टलैंड ने विमान निर्माण शुरु कर दिया. हालांकि बहुत ज्यादा विलंब हुए, जो कि कुछ हद तक वर्ष 1984 में श्रीमती गांधी की भारत में हुई हत्या के बाद वहां व्याप्त ब्रिटेन-विरोधी भावनाओं से जुडे हुए दिखे.” इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 6.5 करोड पाउंड के इस समझौते को पहले भारत और ब्रिटेन के संबंधों में ‘कमजोर कड़ी’ माना जा रहा था क्योंकि उनके बाद प्रधानमंत्री बने राजीव गांधी ने इसे ब्रिटेन में खालिस्तान समर्थक समूहों पर कड़ी कार्रवाई के साथ जोड़ दिया था.
मंत्रिमंडल की बैठक से जुड़े एक नोट में कहा गया, श्रीमान गांधी ने 15-16 अक्तूबर 1985 को ब्रिटेन की यात्रा की. इस दौरान मंत्रियों डब्ल्यू 30 के भारतीय ऑर्डर की संभावनाओं पर चर्चा को बढ़ावा दिया था.” हालांकि थैचर के निजी सचिव सी डी पॉवेल ने उस साल एक आंतरिक संवाद में कहा था, ‘‘श्रीमान गांधी ने कहा कि ‘तकनीकी खामियों’ से परेशानी हो रही है. उन्होंने फ्रांसीसी हेलीकॉप्टर को प्राथमिकता दी.
वेस्टलैंड के हेलीकॉप्टर की प्रति सीट के हिसाब से खर्च कम था लेकिन वह हेलीकॉप्टर बहुत बड़ा था और ज्यादा ईंधन की खपत करता था.” 14 सीटों वाला वेस्टलैंड 30 बेहद अविश्वसनीय और व्यवसायिक आपदा सरीखा साबित हुआ और तकनीकी खामियां पायी जाने के बाद भारत ने इसका पूरा बेड़ा वापस ब्रिटेन को कबाड़ की कीमत पर 9 लाख पाउंड में बेच दिया.
हाल में जारी दस्तावेज वेस्टलैंड संकट के ईद-गिर्द के बवाल को रेखांकित करते हैं. इस संकट के कारण अमेरिकी रक्षामंत्री माइकल हेसेल्टाइन को इस्तीफा देना पड़ा था.