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भ्रूण को प्रभावित करता है जीका वायरस
डॉ मीना सामंत प्रसूति व स्त्री रोग विशेषज्ञ कुर्जी होली फेमिली हॉस्पिटल, पटना जीका वायरस के कारण मुख्य रूप से गर्भवती महिलाओं को खतरा होता है. इसके इन्फेक्शन के कारण शिशु में माइक्रोसिफेली नामक रोग हो सकता है, जिससे शिशु में विकृति आ जाती है. इस रोग का अभी तक कोई उपचार नहीं है. अत: […]
डॉ मीना सामंत
प्रसूति व स्त्री रोग विशेषज्ञ कुर्जी होली फेमिली
हॉस्पिटल, पटना
जीका वायरस के कारण मुख्य रूप से गर्भवती महिलाओं को खतरा होता है. इसके इन्फेक्शन के कारण शिशु में माइक्रोसिफेली नामक रोग हो सकता है, जिससे शिशु में विकृति आ जाती है. इस रोग का अभी तक कोई उपचार नहीं है. अत: इससे बचाव ही एकमात्र विकल्प है.
पूरी दुनिया में जीका वायरस अभी चर्चित है. इस वायरस से मुख्य रूप से गर्भवती महिलाएं और नवजात ही प्रभावित होते हैं. यह वायरस मुख्यत: एडीज मच्छर के काटने से फैलता है.
इस कारण इसका प्रसार तेजी से होता है. इस वायरस के लक्षण सामान्य वायरल इन्फेक्शन जैसे ही होते हैं और जल्द ही इससे होनेवाले रोग से भी मुक्ति मिल जाती है. इसके कारण मृत्यु भी बहुत ही कम मामलों में देखी गयी है. कुछ मामलों में पैरालिसिस भी देखा गया है. लेकिन इसका सबसे अधिक खतरा गर्भवती को ही है.
क्या है खतरा
जब गर्भवती में इस वायरस का संक्रमण होता है, तो यह साथ-साथ इसके भ्रूण को भी संक्रमित कर देता है. अभी जिन देशों में इस वायरस के इन्फेक्शन अधिक देखे गये हैं, वहां पर माइक्रोसिफेली रोग के मामले भी अधिक देखे गये हैं. इसी कारण विशेषज्ञों का मानना है कि प्रेग्नेंसी में जीकावायरस के इन्फेक्शन के कारण दुर्लभ जन्मजात रोग माइक्रोसिफेली हो सकता है.
माइक्रोसिफली एक न्यूरो संबंधी समस्या है, जिससे ग्रसित होने के बाद बच्चों के सिर छोटे हो सकते हैं या विकास पूरी तरह से नहीं हो पाता है. कभी-कभी इसके कारण शिशु की मृत्यु भी हो सकती है.
इससे भ्रूण में इन्फेक्शन का खतरा सबसे अधिक पहली तिमाही में माना जाता है. हालांकि इसके इन्फेक्शन से माइक्रोसिफेली के होने का कारण समझा नहीं जा सका है. इस पर अभी रिसर्च चल रहे हैं. हाल ही में हैदराबाद में इसकी वैक्सीन बनाने का भी दावा िकया गया है. हालांिक अभी इस दवा का ट्रायल होना बाकी है. ट्रायल सफल होता है, तो यह बड़ी उपलब्धि होगी.
क्या हैं प्रमुख लक्षण
इस रोग में हल्का बुखार, रैशेज, सिर दर्द, आंखों का लाल होना, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द एवं आंखों के पीछे दर्द होता है. सिर्फ पांच में से एक व्यक्ति में इसके लक्षण गंभीर हो सकते हैं. इसके लक्षण संक्रमण के तुरंत बाद नहीं दिखते हैं. इन्हें प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.
ऐसे में यदि आप वायरस के संक्रमण के क्षेत्रों में जाते हैं, तो हो सकता है कि आपके घर वापस आने के बाद इसके लक्षण नजर आएं. यह संक्रामक रोग नहीं है. यह छूने से नहीं फैलता है. अत: स्वस्थ व्यक्ति के रोगी के संपर्क में आने से कोई परेशानी नहीं होती है.
इसके फैलने में सबसे अधिक मददगार मच्छर हैं. एडीज मच्छर संक्रमित व्यक्ति को काटने के बाद यदि किसी दूसरे स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, तो दूसरा व्यक्ति भी इससे संक्रमित हो जाता है. इस कारण यह तेजी से फैलता है. हालांिक अभी हाल ही में इसके एक ऐसे संक्रमण का पता चला है, जो यौन संबंध के कारण हुआ है.
वैज्ञानिक इस मामले की जांच कर रहे हैं. अमेरिका व कनाडा आदि क्षेत्राें में इसके फैलने का मुख्य कारण वहां के लोगों में इस वायरस के खिलाफ इम्युनिटी का नहीं होना है. कुछ क्षेत्रों में मच्छरों का अिधक प्रसार होना इसके फैलने का कारण बन गया है.
कैसे होती है पुष्टि
इस रोग की पुष्टि इसके लक्षणों और ब्लड टेस्ट से होती है. हालांकि अभी इसकी जांच कॉमर्शियल रूप से नहीं की जा रही है. अभी इसके जांच की तकनीक अमेरिका की स्वास्थ्य से जुड़ी संस्था सीडीसी (सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन) के पास है. इस रोग का कोई उपचार नहीं है. इसलिए इस रोग से बचाव ही एकमात्र उपाय है. डब्ल्यूएचओ ने इस वायरस से प्रभावित कुछ देशों की लिस्ट जारी की है. अभी इन देशों में यात्रा करने से बचना चाहिए. इनमें ब्राजील, मैक्सिको, वेनेजुएला, हैती आदि प्रमुख हैं.
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