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एजुटेक इंडस्ट्री में पांव जमाती कोलकाता की जीरोइन्फी डॉट कॉम देश में इन दिनों एजुटेक, यानी तकनीक के जरिये शिक्षा का प्रसार करनेवाली इंडस्ट्री तेजी से फल-फूल रही है़ जहां इसमें टॉपर, मेरिटनेशन, एजुकार्ट जैसी कंपनियां अपनी जड़ें जमा चुकी हैं, वहीं स्टार्टअप्स के लिए भी मौके कम नहीं हैं. यही उदाहरण पेश किया है […]

एजुटेक इंडस्ट्री में पांव जमाती कोलकाता की जीरोइन्फी डॉट कॉम
देश में इन दिनों एजुटेक, यानी तकनीक के जरिये शिक्षा का प्रसार करनेवाली इंडस्ट्री तेजी से फल-फूल रही है़ जहां इसमें टॉपर, मेरिटनेशन, एजुकार्ट जैसी कंपनियां अपनी जड़ें जमा चुकी हैं, वहीं स्टार्टअप्स के लिए भी मौके कम नहीं हैं. यही उदाहरण पेश किया है कोलकाता के दो युवकों ने, जो जीरोइन्फी डॉट कॉम के नाम से अपनी कंपनी बनाकर सफलता की नयी इबारत लिख रहे हैं.
दिन प्रतिदिन उन्नत होती तकनीक ने हर क्षेत्र में अपना योगदान दिया है, तो फिर शिक्षा का क्षेत्र इससे अछूता कैसे रहे! हमारे देश में तकनीक आधारित शिक्षा का एक बड़ा बाजार बन चुका है, जहां लगभग हर महीने नये-नये स्टार्टअप्स तैयार हो रहे हैं. तकनीक के सहारे शिक्षा को सर्वसुलभ बनाते हुए नये आयामों तक पहुंचाने की इसी कोशिश में जुटे हैं कोलकाता के दो युवक.
सीए फाइनल की परीक्षा देने के बाद अभिषेक बजाज और रोहित बजाज ने कुछ अलग और अपना प्रोडक्ट तैयार करने की ठानी. और इसी सोच के साथ दोनों ने जनवरी 2015 में जीरोइन्फी डॉट कॉम की शुरुआत की. यह एक ऐसा प्लैटफॉर्म है, जहां पर छात्र-छात्राएं अपनी जरूरत और पसंद के विषयों के वीडियो लेक्चर्स प्राप्त कर सकते हैं. खास बात यह है कि ये लेक्चर्स खुद उन विषयों के दक्ष शिक्षक तैयार करते हैं. हर एक छात्र की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया यह मंच उन्हें विषय की बारीकियों को सीखने का अवसर मुहैया कराता है.
यही नहीं, सीए, सीएस, सीएफएस, यूपीएससी और आइआइटी-जेईई जैसे पाठ्यक्रमों के लिए खासतौर से डिजाइन किये गये इस मंच पर छात्र अपने बनाये नोट्स को दूसरों के साथ शेयर भी कर सकते हैं.
अपने इस खास उद्यम को दमदार और गुणवत्तापूर्ण बनाने के मकसद से अभिषेक और रोहित ने कोलकाता से लेकर दिल्ली, मुंबई, पुणे, चेन्नई, जयपुर और जोधपुर जैसे देशभर के शहरों में घूम-घूमकर वहां के शिक्षकों से अपने प्लैटफॉर्म, जीरोइन्फी पर कंटेंट उपलब्ध कराने के लिए गंठजोड़ किया है. इस बारे में अभिषेक बताते हैं कि हमारे मंच पर सामग्री उपलब्ध कराने के लिए हमने शिक्षकों की खातिर खास मानदंड तय कर रखे हैं, जैसे – शिक्षक को कम से कम पांच वर्षों का अनुभव हो और वह कम से कम एक हजार छात्रों को पढ़ा चुके हों.
पात्रता पूरी करनेवाले शिक्षकों को हम जीरोइन्फी से जोड़कर उनके लेक्चर्स के वीडियोज को अपने सर्वर पर डालते हैं. इस तरह अपना प्लैटफॉर्म शुरू करने में हमें कुल छह महीनों का समय लगा और उसके बाद हमने अपनी वेबसाइट को दो महीनों तक बीटा वर्सन में चलाया़
मन में यह आइडिया आने की वजह पूछने पर अभिषेक कहते हैं कि सीए फाइनल इयर की परीक्षा की कोचिंग के लिए हमने मोटी रकम अदा की थी, लेकिन कई क्लासेज हमसे छूट गयीं. बहरहाल, कोलकाता के सेंट जेवियर्स के छात्र रहे अभिषेक और रोहित पिछले साल चार्टर्ड एकाउंटैंसी की परीक्षा पास कर चुके हैं.
इसके बाद उन्होंने जीरोइन्फी की स्थापना की़ यहां यह जानना जरूरी है कि जीरोइन्फी की शुरुआत के लिए अभिषेक और रोहित ने अपने परिवारवालों और दोस्तों की मदद से 10 लाख रुपये का निवेश किया़ और ऑनलाइन वीडियो लेक्चर्स मुहैया करानेवाले इस मंच ने आठ हजार से अधिक यूजर्स का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है़
रोहित बताते हैं कि हमने अपनी वेबसाइट पर हर विषय पर एक डेमो वीडियो अपलोड कर रखा है, जिसे छात्र पहले देखते हैं और पसंद आने पर किसी खास टॉपिक या पूरे कोर्स के लिए लेक्चर्स सब्सक्राइब करते हैं. इसकी कीमत प्रति यूजर पांच सौ से लेकर 10 हजार रुपये के बीच होती है़ रोहित यह बताना नहीं भूलते कि हमारे पास उपलब्ध लेक्चर्स, ऑफलाइन कोर्सेज यानी परंपरागत कोचिंग की तुलना में 60 प्रतिशत तक सस्ते हैं.
गौरतलब है कि फिलहाल जीरोइन्फी की टीम में आठ कर्मचारी और अलग-अलग विषयों के 25 शिक्षक शामिल हैं, जो समय-समय पर और जरूरत पड़ने पर वेबसाइट के लिए कंटेंट तैयार करते हैं.
रोहित बताते हैं कि डिजिटल मार्केटिंग की बदौलत जीरोइन्फी ने दुर्गापुर, आसनसोल, भुवनेश्वर और विजयवाड़ा जैसे टियर-2 शहरों में अपनी पकड़ तेजी से मजबूत की है़ पिछले दिसंबर और इस साल जनवरी के महीने को मिलाकर इस कंपनी ने तीन लाख 20 हजार रुपये की कमाई की़ इसके संस्थापकों को उम्मीद है कि इस माह कमाई का आंकड़ा दो लाख 50 हजार हो जायेगा़ फिलहाल इस कंपनी का ध्यान अपने कंटेंट को मजबूत कर ज्यादा से ज्यादा यूजरबेस बनाने का है़
इसके लिए फेसबुक और कॉलेज सेमिनाराें का भी सहारा लिया जा रहा है़ आनेवाले दिनों में यह स्टार्टअप मेंटर मॉड्यूल लांच करने की योजना रखता है़ इसके तहत सीए और आइआइटी के टॉप रैंकर्स को कंपनी के मेंटर पैनल में शामिल किया जायेगा, जहां वे यूजर को जरूरी गाइडेंस देंगे़ रोहित बताते हैं कि हमें ज्यादा से ज्यादा छात्रों तक पहुंचने के लिए और निवेश की जरूरत है और इस कोशिश में हम लगातार लगे हुए हैं.
बताते चलें कि रोहित यह उम्मीद जताते हैं कि उनका उद्यम अगले वित्तीय वर्ष में छह करोड़ रुपये का लाभ अर्जित कर लेगा़ दरअसल स्मार्टफोन, इंटरएक्टिव टेक्स्टबुक्स और डेटा एनालिटिक्स के बढ़ते चलन की बदौलत हमारे देश में भी शिक्षा का तकनीकी कारोबार बेतहाशा बढ़ रहा है़
इस बारे में आइबीइएफ की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2017 तक यह क्षेत्र 2,40, 000 करोड़ रुपये का हो जायेगा़ इस क्षेत्र में टॉपर, मेरिटनेशन, एजुकार्ट, सिंप्लीलर्न सहित दर्जनों कंपनियां पहले से स्थापित हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि नयी कंपनियों के लिए अब भी इसमें अवसरों की कोई कमी नहीं है़

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