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सरकार को झटका : हाइकोर्ट का फैसला, प्रोमोशन पर रोक का आदेश खारिज
चार लाख कर्मियों के प्रोमोशन पर लगी रोक हटी पटना : पटना हाइकोर्ट ने राज्य सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसके तहत सरकारी सेवाओं में सभी कोटियों के कर्मचारियों के प्रोमोशन पर रोक लगी हुई है. जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी के कोर्ट ने सोमवार को यह आदेश सुनाया. कोर्ट ने पिछली […]
चार लाख कर्मियों के प्रोमोशन पर लगी रोक हटी
पटना : पटना हाइकोर्ट ने राज्य सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसके तहत सरकारी सेवाओं में सभी कोटियों के कर्मचारियों के प्रोमोशन पर रोक लगी हुई है. जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी के कोर्ट ने सोमवार को यह आदेश सुनाया.
कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान सरकार को 15 फरवरी तक अपने आदेश पर विचार करने को कहा था. सोमवार को जब इस केस की सुनवाई शुरू हुई, तो सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव आमीर सुबहानी ने कोर्ट से कहा कि सरकार के स्तर पर फिलहाल इस आदेश में कोई बदलाव करने की योजना नहीं है.
इसके बाद कोर्ट ने सरकार के प्रोमोशन रोकने संबंधी सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश पर रोक लगाने का फैसला सुना दिया. कोर्ट के इस फैसले से राज्य सरकार के करीब चार लाख कर्मचारियों के प्रोमोशन पर लगी रोक हट गयी है.
इसके पहले आठ फरवरी को मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश अजय कुमार त्रिपाठी ने कहा था कि यदि सरकार की ओर से 15 फरवरी तक प्रोमोशन के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया, तो बाध्य होकर कोर्ट अपना फैसला सुनायेगा. वीरेंद्र कुमार राय एवं अन्य छह की ओर से दायर याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील ने कोर्ट से कहा कि कोर्ट से सिर्फ अनुसूचित जाति और जनजाति के कर्मचारियों की परिणामी वरीयता पर रोक लगी है.
इसके खिलाफ सरकार की दो सदस्यीय खंडपीठ में अपील याचिका खारिज हो चुकी है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर अंतरिम रोक की मांग की थी, लेकिन यह स्वीकृत नहीं हुआ. इसके बाद भी सरकार सभी कोटियों के प्रोमोशन पर रोक लगा रखी है.
कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि जो कर्मचारी-पदाधिकारी रिटायर हो जायेंगे, उन्हें सेवाकाल में मिलने वाले लाभों को नहीं मिलने को सरकार आखिर गंभीरता से क्यों नहीं ले रही है.
कोर्ट ने कहा कि इसकी भरपाई कौन करेगा, इसे सरकार को सोचना चाहिए.कोर्ट के निर्देश का अध्ययन करेगी सरकार: प्रधान सचिव : सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव अामिर सुबहानी ने कहा है कि प्रोन्नति में अारक्षण मामले में हाइकोर्ट के निर्देश का सरकार अध्ययन करेगी और जल्द ही निर्णय लेगी. बासा के महासचिव सुशील कुमार ने कहा कि बासा किसी की प्रोन्नति रोकने के पक्ष में नहीं है, बल्कि सभी को प्रोन्नति देने के पक्ष में है.
क्या है मामला
सरकार ने 2008 में अनुसूचित जाति और जनजाति कोटि के कर्मचारियों के प्रोमोशन के लिए परिणामी वरीयता लागू की थी. इसके तहत इस कोटि के कर्मचारियों को प्रोमोशन में भी आरक्षण मिलना था. राज्य सरकार के इस अादेश को पटना हाइकोर्ट में चुनौती दी गयी. इस पर एकलपीठ ने सरकार के अादेश पर रोक लगा दी. राज्य सरकार ने दो सदस्यीय खंडपीठ में अपील की.
यहां भी सरकार की अपील को खारिज कर दिया गया. सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पटना हाइकोर्ट के आदेश को चुनौती दी. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया. सरकार ने 12 अगस्त, 2014 को सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी पद और कोटियों के प्रमोशन के लिए विभागीय पदोन्न्ति समिति की बैठक पर रोक लगा दी रोक लगा दी. सहायक जेलर के पद पर कार्यरत वीरेंद्र कुमार राय एवं छह अन्य कर्मियों ने पटना हाइकोर्ट में याचिका दायर कर सरकार के इस आदेश को चुनौती दी, जिसमें सोमवार को एकलपीठ का यह फैसला आया है.
क्या था आदेश
राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने 12 अगस्त, 2014 को एक संकल्प जारी किया था, जिसके तहत सरकार की सभी सेवाओं और पदों के लिए प्राेमोशन के लिए विभागीय प्रोन्नति समिति की बैठक पर रोक लगायी गयी है. यह क्षेत्रीय कार्यालयों पर भी प्रभावी होगा. इसके तहत सभी तबकों के कर्मियों के प्रोमोशन पर रोक लग गयी थी.
सुप्रीम कोर्ट में पूरी मुस्तैदी से लड़ेगी सरकार
पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि हम अनुसूचित जाति और जनजाति के कर्मियों को प्रोमोशन में आरक्षण के पक्षधर हैं. जनता दरबार में उन्होंने पटना हाइकोर्ट के फैसले पर कहा कि हम न्यायालय का सम्मान करते हैं. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर रखी है. सरकार इस केस को पूरी मुस्तैदी से लड़ेगी. जो भी कानूनी पहल संभव होगी, हम करेंगे.
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