हाल ही में भारत में कैंसर मरीजों की संख्या में 7.5% की बढ़ोतरी देखी गई. इसका प्रमुख कारण बदलती अनियमित लाइफस्टाइल है. लोगों ने अपनी जीवनशैली में अल्कोहल, शराब, सिगरेट, पान मसाला या तंबाकू आदि ने इस कदर जगह बना ली हैं कि ये सब चीज़ें बीमारियों को न्यौता दे रही हैं.
देर रात जागना, नींद का पूरा न होना, सुस्ती भगाने के लिए चाय और कॉफी पर निर्भर होना, देर रात पार्टी और शराब आदि चीज़ें लोगों के लाइफ स्टाइल का हिस्सा बन चुकी हैं. ऐसे में वे खुद को इन सब चीज़ों से चाहकर भी दूर नहीं कर पातें और बीमारियों का शिकार हो रहे हैं.
एक शोध अनुसार, कैंसर कई तरह के होते हैं, लेकिन भारत में मुंह, होठ, पेट, आंत, बड़ी आंत जैसे कैंसर ज़्यादा पाए जाते हैं. केवल पुरुष ही नहीं बल्कि इन सब में अब महिलाएं भी शामिल हैं इसलिए वह भी कैंसर की चपेट में आती दिख रही हैं. उनमें स्तन, डिम्ब ग्रंथि तथा गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर प्रमुख रूप से देखे जा रहे हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के कैंसर अनुसंधान की अंतर्राष्ट्रीय संस्था के ग्लोबोकॉन परियोजना द्वारा किए गए अध्ययन द्वारा यह जानकारी सामने आई है. इस अध्ययन से पता चला है कि भारत में पिछले साल 10 लाख नए कैंसर मरीज सामने आए. इतना ही नहीं इस खतरनाक बीमारी के कारण 6 लाख लोगों ने अपनी जान भी गवा दी. अगर 2008 के आंकड़ों की ओर ध्यान दिया जाए, तो यह उनके मुकाबले 7.5% से अधिक हैं.
इस अध्ययन के अनुसार, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि साल 2020 तक भारत में 12 लाख लोगों की मौत कैंसर की बीमारी के कारण होगी. वहीं, 10 लाख नए कैंसर मरीज भी सामने आएंगे.
इस शोध के अनुसार, भारत में कैंसर मरीजों की मौत का कारण उनका देर से पता चलना भी है. वहीं अमेरिका में कैंसर पीड़ित ज़्यादातर मरीज 70 साल से ज़्यादा की जिंदगी गुजारते हैं. जबकि भारत में कैंसर से मरने वालों में 71% लोगों की उम्र 30 से 69 साल के बीच होती है.
इस अध्ययन के बारे में बोकहार्ट अस्पताल के ओंकोलॉजिस्ट बोमन धाबार ने बताया, "कैंसर से बचने के जरूरी है कि लोग स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं. वे शराब, सिगरेट, धूम्रपान, तैलीय भोजन आदि से दूर रहे और कैंसर की समग्र जांच करवाना बेहद जरूरी है."
कैंसर का समय पर पता लगने पर उसका इलाज संभव होता है. इसिलए अगर किसी भी तरह की शंका आपको होती है, तो सबसे पहले जांच कराएं.