नारायणपुर : सरकारी योजनाओं के बंदरबाट में राज्य की विकास योजनाएं महज फाइलों में सिमट गयी है. यदि इन योजनाओं को मूर्त रूप से जमीन पर उतारा जाता तो निश्चित रुप से आज प्रखंड पिछड़ा नहीं होता. ऐसा ही मामला क्षेत्र के केन्दुआ गांव को देखने से प्रतीत होता है. बुटवेरिया पंचायत का केन्दुआ गांव में प्लॉट नंबर 1008 में हजारों वर्ष पुराना खास तालाब अपनी आप बीती पर रो रहा है. जिसके कारण आज किसान कृषि कार्य छोड़कर अन्य कार्य करने को मजबूर हैं. करीब पांच एकड़ की जमीन पर फैले इस तालाब बाबुपुर, केंदुआ, बुटवेरिया समेत दर्जनों गांवों के जमीन सालों भर सिचिंत होता था.
किसानों के खेत लहलहाते थे. यदि वारिश हुई तो ठीक है. अन्यथा इस तालाब से ही सभी खेतों के फसल हो जाते थे. तालाब ऐसे स्थान पर बना हुआ है कि यहां इसमें बिना किसी साधन के ही एक खेत से दूसरे खेत में पानी का बहाव होता रहता था. किसान धान की फसल के अलावे गेहूं, सरसों आदि की भी खेती यहां अराम से करते थे और काफी खुश रहते थे. लेकिन धीरे-धीरे तालाब भरता गया और इसके जल श्रोत घटता गया. जिसके कारण किसान अपने कृषि कार्य से पानी के अभाव में कृषि कार्य छोड़ने लगे. वर्तमान में तालाब की स्थिति ऐसी है कि नहाने के पानी भी सालो भर लोगों को नहीं मिलता है. इस संबंध में किसान सदिक अंसारी, प्रकाश वर्मा, नरेश वर्मा, अरविन्द वर्मा समेत कईयों ने बताया की इस दिशा में कार्य किये जाते तो कई किसान आज भी खुशहाल होते. आज किसान कृषि कार्य से दूर नहीं भागते. लोगों ने तालाब जिर्णोद्धार की मांग की है.