जीका का कहर लगातार फैलता जा रहा है. इस जानलेवा वायरस के तेज़ी से फैलने की संभावना अब यूरिन और थूक में भी पायी जा रही है.
मच्छर जनित वायरस जीका के प्रसार को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अंतरराष्ट्रीय आपात स्थिति घोषित कर दी है. यह गर्भवती महिलाओं में इस वायरस का अटैक हो जाता है तो यह बच्चे में न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का खतरा पैदा करता है और ब्रेन के डिवेलपमेंट पर असर डालता है. लेकिन हालिया हुए एक शोध ने इसका खतरा और बढ़ा दिया है.
एक शोध के अनुसार, जीका वायरस के रोगियों के थूक और पेशाब(यूरिन) में इस रोग के लक्षण मिले हैं
ब्राजील के विश्वविख्यात जन स्वास्थ्य शोध संस्थान ‘ओसा क्रूड फांउडेशन’ (फिस्क) के अध्यक्ष पॉलो गवेल ने के अनुसार, ब्राजीलियाई शोधकर्ताओं को जीका वायरस के रोगियों के थूक और पेशाब में इस रोग के लक्षण मिले हैं.
यानी यह विषाणु थूक और पेशाब के माध्यम से फैल सकता है. गवेल ने कहा कि इसे साबित करने के लिए और परीक्षणों की जरूरत है.
ब्राजील के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि थूक और पेशाब से विषाणु के फैलने की संभावना का अर्थ यह नहीं है कि एडीज एजिप्टी मच्छरों के पनपने को रोकने के उपाय कम कर दिए जाएं, क्योंकि ये न केवल जीका, बल्कि चिकनगुनिया और डेंगू रोग उत्पन्न करने के लिए भी जिम्मेदार हैं.
इस चेतावनी के बाद यह सलाह दी जा रही है कि लोगों को किसी अन्य व्यक्ति के टूथब्रश, गिलास जैसी निजी चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और अपने हाथ बार-बार धोने चाहिए.
अक्टूबर से लेकर अब तक ब्राजील में 3500 से ज्यादा छोटे सिर और अविकसित दिमाग वाले बच्चे पैदा हुए हैं. अब यह चीन की तरफ बढ़ चुका है. इसके बढ़ते खतरे को देखते हुए सावधानियां बरतनी जरुरी हैं.