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स्पाइनल कॉर्ड इंज्यूरी के कारण कई बार लकवा मार जाता है. प्रचलित पद्धति से उपचार करने से कई बार फायदा होता है, तो कई बार नहीं भी होता. नयी पद्धति स्टेम सेल थेरेपी से उपचार कराने पर काफी लाभ हो सकता है. पैराप्लीजिया का खतरा स्पा इनल कॉर्ड नर्व्स का समूह होता है, जो दिमाग के संदेश […]

स्पाइनल कॉर्ड इंज्यूरी के कारण कई बार लकवा मार जाता है. प्रचलित पद्धति से उपचार करने से कई बार फायदा होता है, तो कई बार नहीं भी होता. नयी पद्धति स्टेम सेल थेरेपी से उपचार कराने पर काफी लाभ हो सकता है.
पैराप्लीजिया का खतरा
स्पा इनल कॉर्ड नर्व्स का समूह होता है, जो दिमाग के संदेश को अन्य अंगों तक पहुंचाता है. अत: स्पाइनल कॉर्ड इंज्यूरी को पूरे शरीर के लिए घातक माना जाता है. चोट दो प्रकार की होती है-नसों में हल्की चोट, जिसे कंट्यूजन कहते हैं. नस का थोड़ा या पूरा फटना, जिसे स्पाइनल कॉर्ड ट्रांसेक्शन कहते हैं. स्पाइनल कॉर्ड में चोट लगने की वजह से दुनिया में कई युवा और बच्चे किसी न किसी विकार, विकलांगता या मौत के शिकार हो जाते हैं. दुर्घटना के बाद चोट की गंभीरता इस पर निर्भर करती है कि स्पाइनल कॉर्ड का कौन-सा भाग चोटग्रस्त हुआ है?
जैसे- यदि सर्वाइकल स्पाइन यानी गरदन के आस-पास चोट लगी है, तो पैरों और हाथों की मूवमेंट में दिक्कत आ सकती है. इस अवस्था को टेट्राप्लीजिया के नाम से भी जाना जाता है. इस तरह की चोट में मरीज को अकसर वेंटिलेटर पर रहना पड़ता है क्योंकि मरीज की कई नसें चोटग्रस्त हो जाती हैं और उसमें खुद से उठने-बैठने की ताकत नहीं होती है. स्पाइनल कॉर्ड के निचले भाग में चोट लगने से मरीज को लकवा मार सकता है. कई मामलों में शरीर का निचला भाग बेकार हो जाता है. इस अवस्था को पैराप्लीजिया कहते हैं.
मरीज की जटिलता इस पर भी निर्भर करती है कि मरीज को कंप्लीट इंज्यूरी है या इनकंप्लीट. कंप्लीट इंज्यूरी में मरीज को चोटिल भाग और आस-पास किसी हरकत का एहसास नहीं होता है. सब कुछ सुन्न हो जाता है, लेकिन इनकंप्लीट इंज्यूरी में मरीज को चोटिल भाग में दर्द, हरकत या किसी प्रकार का एहसास अवश्य होता है. जितनी बड़ी इंज्यूरी होती है, केस उतना ही गंभीर होता है. इंज्यूरी जितनी छोटी होती है, केस में जटिलता उतनी ही कम होती है.
फिजियोथेरेपी से होता है रिहैबिलिटेशन
एक्यूट फेज यानी दुर्घटना के तुरंत बाद यदि फेफड़ों पर लकवा का असर होता है, तो चेस्ट फियिजोथेरेपी की जाती है. ताकि सांस की परेशानी न हो. ज्वाइंट मसल्स में होनेवाली जकड़न को ठीक किया जाता है. मरीज और परिवार को रहन-सहन का तरीका बताया जाता है. इंज्यूरी के प्रकार के अनुसार फिजियोथेरेपी होती है.
कंप्लीट : स्पाइन सर्जरी के बाद फिजियोथेरेपी से रिहैबिलिटेशन में मदद मिलती है. इसमें मरीज को व्हील चेयर हैंडल करना बताया जाता है. लकवा मारने पर मूत्र त्यागने में परेशानी होती है, जिसे पाइप से निकालना सिखाया जाता है. यदि इंज्यूरी स्पाइन के थोरेसिक हिस्से में हुई हो, तो एसिस्टिव डिवाइस की मदद से चल सकता है.
इनकंप्लीट : प्राथमिकता मसल्स पावर को रीगेन करने की होती है. लकवा मारने के बाद स्पर्श का पता नहीं चलता. इसके लिए सेंसरी एजुकेशन दिया जाता है. मरीज को एसिस्टिव डिवाइस दी जाती है या फिर उसके आस-पास के माहौल को उसके अनुसार ढाला जाता है जैसे-बाथरूम में रेिलंग का इंतजाम करना, आस-पास िफसलन न हो आदि.
स्टेम सेल थेरेपी है नया उपचार
अभी इसके उपचार के लिए सर्जन आॅपरेशन द्वारा स्पाइनल कॉर्ड पर दबाव को हटाते हैं और जल्द रिकवरी के लिए दवाओं व फिजियोथेरेपी का सहारा लेते हैं. लेकिन अब स्टेम सेल की मदद से इसका इलाज किया जा रहा है. इससे कई लाइलाज रोगों का उपचार भी हो सकता है. स्टेम सेल तीन प्रकार के होते हैं- भ्रूण, वयस्क व कॉर्ड स्टेम सेल.
ये सेल खुद ही रीजेनरेशन कर लेते हैं. इसके अलावा यह अलग-अलग कार्यों के लिए विशेष प्रकार की कोशिकाओं का भी निर्माण कर सकते हैं. उत्तकों से निकाली गयी इन कोशिकाओं में उत्तक के भीतर विकसित होने की क्षमता होती है. प्रयोगशाला में विकसित करके स्टेम सेल को शरीर में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है, जो डैमेज नर्व्स को अंदर जाकर ठीक कर देते हैं.
हालांकि यह प्रक्रिया धीमी गति से चलती है. पहले वर्ष दो-चार बार स्टेम सेल प्रत्यारोपित किया जाता है. सबसे बड़ी बात यह है कि इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है. जिन मरीजों में सामान्य उपचार से सुधार की कोई उम्मीद नहीं होती है, उनमें भी इससे उपचार के बाद 25% तक सुधार देखा गया है. हालांिक अभी भी यह प्रक्रिया िरसर्च फेज में है. स्पाइनल कॉर्ड में चोट लगने की वजह से दुनिया में कई युवा और बच्चे किसी न किसी विकार, विकलांगता या मौत के शिकार हो जाते हैं.
आंकड़ों के अनुसार लाखों लोग प्रत्येक वर्ष स्पाइनल कोर्ड इंज्यूरी के शिकार हो जाते हैं. इनमें अधिकतर वे लोग होते हैं, जिनकी उम्र 16 से 30 वर्ष तक होती है. इंज्यूरी स्पाइनल कॉर्ड के बुरी तरह से मुड़ने के कारण होती है, जैसे-जन्म के समय शिशु को चोट लगने, गिरने पर, सड़क दुघर्टना में, खेलते समय चोट लगना, घुड़सवारी के समय गिर जाने से. ऐसे में स्टेम सेल थेरेपी की सफलता से असंख्य लोगों को लाभ मिलेगा.

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