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फसियाबाद गांव में एक भी शौचालय नहीं

सारठ. इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि निर्मल भारत अभियान के तहत शौचालय निर्माण को लेकर करोड़ों रुपये खर्च करने व जागरूकता अभियान चलाये जाने के बाद भी कई गांव ऐसे हैं जहां अब भी शौचालय नहीं है. लिहाजा, इन गांवों में लोग अब भी खुले में शौच को मजबूर हैं. सारठ पंचायत स्थित फसियाबाद […]

सारठ. इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि निर्मल भारत अभियान के तहत शौचालय निर्माण को लेकर करोड़ों रुपये खर्च करने व जागरूकता अभियान चलाये जाने के बाद भी कई गांव ऐसे हैं जहां अब भी शौचालय नहीं है. लिहाजा, इन गांवों में लोग अब भी खुले में शौच को मजबूर हैं. सारठ पंचायत स्थित फसियाबाद बाद भी इन्हीं गावों में से एक है. लगभग 35 घरों की आबादी वाले फसियाबाद में शौचालय नहीं रहने के कारण ग्रामीण खुले में शौच करना यहां के लोगों की नियती बन चुकी है.

शौचालय नहीं होने के कारण सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को होती है. झिझक व शर्म के मारे पौ फटने से महिलाएं शौच के लिए घर से शौच के लिए निकल पड़ती है. सूर्योदय के बाद पुरुष मैदान की ओर निकल पड़ते हैं. ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति भी उतनी अच्छी नहीं है कि शौचालय निर्माण करा सकें. ग्रामीण बताते हैं कि शौचालय नहीं रहने के कारण कई रिश्तेदार गांव नहीं आना चाहते. यहां अपनी बेटी का रिश्ता तय करने में भी असहज महसूस करते हैं. 21 वीं सदी में आज भी यह गांव शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी से घिरा हुआ है. इस गांव को देखकर यह कहना कतई गलत नहीं होगा कि निर्मल भारत अभियान के तहत शौचालय निर्माण को लेकर ना केवल स्थानीय जनप्रतिनिधि, विभागीय पदाधिकारी समेत सामाजिक संगठन भी उदासीनता दिखा रहे हैं.

कहते हैं कार्यपालक अभियंता
शौचालय के लिए प्रखंडवार लक्ष्य मिला है. इसी के अनुरूप गांव में शौचालय निर्माण होता है. जब सारठ पंचायत के गांव का लक्ष्य मिलेगा तो फसियाबांद गांव मे भी शौचालय का निर्माण हेागा.
शिवनाथ सिंह गंझु, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग
क्या कहते कृषि मंत्री
प्रखंड का मुख्यालय पंचायत सारठ मे सबसे पहले शौचालय निर्माण होना है. सारठ मुख्यालय रहने के बावजूद विभाग द्वारा सारठ पंचायत का चयन क्यों नहीं किया गया. यह जांच का विषय हैं. शौचालय निर्माण के लिए विभाग को निर्देश दिया जायेगा.
रणधीर सिंह, कृषि मंत्री
कहते हैं फसियाबाद गांव के ग्रामीण
अशोक झा: आज तक गांव में सरकारी काम हुआ ही नहीं. आर्थिक रूप से कमजोर रहने के कारण घरों में शौचालय निर्माण आज तक खुद से नही करा सके.
संजीव झा: गांव खुला है. बगल में नदी किनारे शौच करने जाते हैं. बरसात के दिनों में काफी परेशानी होती है.
हेमंत झा: परिवार चलाना ही मुश्किल होती है. शौचालय निर्माण कहां से कराया जाय. परेशानी तो होती है.
जीवन झा: क्या करें जो कमाता हूं. उससे राेजी-रोटी का जुगाड़ ही नहीं हो पाता है. तो शौचालय का निर्माण कहां से कराएं.
बबीता देवी: शौचालय नहीं होने के कारण बड़ी परेशानी होती है. बारिश के दिनों में लोग यहां आने से परहेज करते हैं.
बीणा देवी: शौचालय नहीं होने से परेशानी होती है. खुले में शौच जाने में शर्म भी लगती है, पर क्या करें, कोई उपाय नहीं है.
रीना देवी: गांव में शौचालय नहीं होने से परेशानी होती है. परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण शौचालय निर्माण नहीं कराया जा सकता.
सावित्री देवी: सरकार चाहे तो बनवा दे, पर हमलोग तो कभी शौचालय खुद से नहीं बनवा सकेंगे.
सीता देवी: शादी विवाह या यज्ञ प्रयोजन में लोग जब गांव आते हैं. तो बड़ी बेइज्जती का सामना करना पड़ता है.
चटकी देवी: शौचालय गांव के लिए सपना हो गया है. घर की हालत ठीक नहीं है. जिस कारण शौचालय निर्माण नहीं करा सकते.

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