हालांकि उस मकान पर जिला शिक्षा विभाग का कब्जा है. शिक्षा विभाग के स्थानीय अधिकारियों ने प्रवेश निषेध का बोर्ड भी लगा रखा है. सर जेसी बोस ने अमृत नाथ मित्रा से 1907 में गिरिडीह में मकान खरीदा था. उन्होंने अपने नाम पर बिजली का कनेक्शन लिया था. बिजली वितरण निगम के दस्तावेज के अनुसार उनका कंज्यूमर नंबर एनबी 00066, कंज्यूमर टाइप- 5 और टेरिफ सीएस-2 है. उनके इस मकान पर बिजली बिल मद का कुल 1.018 लाख रुपये बकाया है. इसमें से एनर्जी चार्ज के रूप मे 68070.20 रुपये और डीपीएस का 33745.92 रुपये बकाया है. बिजली बिल पर उनका पता ‘स्मारक जिला विज्ञान केंद्र’ दिखाया जाता है, क्योंकि एकीकृत बिहार के कार्यकाल में उनके मकान को स्मारक घोषित किया गया था. वर्ष 1996 में गिरिडीह के तत्कालीन उपायुक्त केके पाठक के प्रयास से सर जेसी बोस के इस मकान को जिला विज्ञान केंद्र बनाया गया . इसमें बिहार साइंस काउंसिल और कोलकाता के बोस इंस्टीट्यूट ने मदद की थी. राज्य विभाजन के बाद जिला विज्ञान केंद्र बंद हो गया. फिलहाल इस मकान में सर्व शिक्षा अभियान का कब्जा है.
सर जेसी बोस के मकान सह जिला विज्ञान केंद्र के दरवाजे के बाहर प्रवेश निषेध का बोर्ड लगा दिया गया है. सरकार ने पिछले दिनों जेसी बोस के इस मकान को धरोहर के रूप में विकसित करने की घोषणा की थी. हालांकि इस दिशा में अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है.