मुंबई : आतंकवादी कृत्य के मामले में किसी विदेशी जमीन से पहली बार गवाही दिये जाने के तहत लश्कर ए तैयबा के पाकिस्तानी-अमेरिकी सदस्य डेविड हेडली ने आज यहां वीडियो लिंक के जरिए एक अदालत को बताया कि पाकिस्तानी आतंकवादियों ने 26/11 हमलों से पहले मुंबई पर दो बार हमला करने की कोशिश की थी लेकिन वे दोनों बार ऐसा करने में नाकाम रहे थे. मुंबई में नवंबर 2008 में हुए इन हमलों में 166 लोगों की मौत हो गयी थी. हेडली ने सुबह सात बजे शुरू हुई अपनी गवाही में कहा कि वह ‘लश्कर का कट्टर समर्थक’ था और वह कुल आठ बार भारत आया था. वह 26 नवंबर 2008 को आतंकवादी हमले से पहले सात बार और हमले के बाद एक बार भारत आया था.
हेडली की गवाही कल मंगलवार को भी भारतीय समयानुसार सुबह सात बजे शुरू होगी. 26/11 मामले में सरकारी गवाह बनाये गये हेडली ने कहा कि वह लश्कर में मुख्य रूप से साजिद मीर के संपर्क में था. साजिद मीर भी इस मामले में एक आरोपी है. उसने अदालत को बताया कि लश्कर ने नवंबर 2008 को अंतत: हमला करने के पूर्व भी आतंकवादी हमले करने की दो असफल कोशिशें की थीं. पहली कोशिश सितंबर और दूसरी कोशिश अक्तूबर में की गयी थी. हेडली ने कहा कि वह लश्कर प्रमुख हाफिज सईद से ‘प्रभावित’ होकर इस संगठन में शामिल हुआ था और उसने वर्ष 2002 में मुजफ्फराबाद में उनके साथ पहली बार ‘प्रशिक्षण’ प्राप्त किया था.
आतंकवादी हमलों में शामिल होने के मामले में अमेरिका में 35 वर्ष के कारावास की सजा भुगत रहे हेडली ने यह भी कहा कि उसने 2006 में अपना नाम दाउद गिलानी से बदलकर डेविड हेडली रख लिया था ताकि वह भारत में प्रवेश कर सके और यहां कोई कारोबार स्थापित कर सके. हेडली ने यहां अदालत से कहा, ‘मैंने फिलाडेल्फिया में पांच फरवरी 2006 को नाम बदलने के लिए आवेदन दिया था. मैंने नये नाम से पासपोर्ट लेने के लिए अपना नाम बदलकर डेविड हेडली रख लिया. मैं नया पासपोर्ट चाहता था ताकि मैं एक अमेरिकी पहचान के साथ भारत में दाखिल हो सकूं.’
हेडली ने कहा, ‘जब मुझे नया पासपोर्ट मिल गया तो मैंने लश्कर ए तैयबा में अपने साथियों को यह बात बतायी. इनमें से एक साथी साजिद मीर था. यही वह व्यक्ति था, जिससे मैं संपर्क में था. भारत में आने का मेरा उद्देश्य एक कार्यालय/कारोबार स्थापित करना था ताकि मैं भारत में रह सकूं. पहली यात्रा से पहले साजिद मीर ने मुझे मुंबई का एक आम वीडियो बनाने के निर्देश दिए थे.’ हेडली ने यह भी कहा कि भारतीय वीजा आवेदन में उसने अपनी असल पहचान छिपाने के लिए सभी ‘झूठी’ जानकारियां दी.
ऐसा बताया जाता है कि उसने वर्ष 2006 और 2008 के बीच कई बार भारत की यात्रा की, नक्शे खींचे, वीडियो फुटेज ली और हमले के लिए ताज होटल, ओबरॉय होटल और नरीमन हाउस समेत विभिन्न ठिकानों की जासूसी की. हेडली की जासूसी ने हमला करने वाले लश्कर के 10 आतंकवादियों और उनके आकाओं को अहम जानकारी उपलब्ध कराई. हेडली के वकील महेश जेठमलानी ने संवाददाताओं से कहा कि ‘उसने (हेडली ने) इस बात की पुष्टि की है कि वह हाफिज सईद से प्रभावित होकर लश्कर में शामिल हुआ था. उसने अदालत को बताया कि 26/11 से पहले भी आतंकवादी हमले करने की दो असफल कोशिशें की गई थीं. उसने हमलों में लश्कर की भूमिका की विस्तृत जानकारी नहीं दी.’
फिलहाल अदालत में मुख्य साजिशकर्ता सैयद जबीउद्दीन अंसारी उर्फ अबू जंदल के खिलाफ मुकदमा चल रहा है. उसके खिलाफ इन आतंकवादी हमलों में उसकी कथित भूमिका को लेकर मामला चल रहा है. हेडली की गवाही से मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों के पीछे के षड्यंत्र के बारे में कई अहम खुलासे हो रहे हैं. इन हमलों में 166 लोगों की मौत हुई थी. अदालत ने 10 दिसंबर 2015 को हेडली को इस मामले में सरकारी गवाह बनाया था और उसे आठ फरवरी को अदालत के समक्ष पेश होने को कहा था. उस समय हेडली ने विशेष न्यायाधीश जी ए सनप से कहा था कि अगर उसे माफ किया जाता है तो वह ‘गवाही देने को तैयार’ है.
न्यायाधीश सनप ने हेडली को कुछ शर्तों के आधार पर सरकारी गवाह बनाया था और उसे माफी दी थी. मुंबई पुलिस ने पिछले साल आठ अक्तूबर को अदालत के समक्ष याचिका दायर कर कहा था कि हेडली के खिलाफ भी इस मामले में मुंबई हमलों के अहम साजिशकर्ता अबू जंदल के साथ इस अदालत में मुकदमा चलाया जाना चाहिए क्योंकि दोनों इस कायरतापूर्ण हमले के साजिशकर्ता और इसमें मददगार थे. मुंबई पुलिस ने याचिका में कहा था कि हेडली के खिलाफ अमेरिकी अदालत के निर्णय से यह स्पष्ट है कि वह लश्कर का सदस्य था और उसने आतंकवादी हमले में आपराधिक षड्यंत्र रचने में सक्रिय भूमिका निभायी थी. विशेष सरकारी अभियोजक उज्ज्वल निकम ने कल कहा था, ‘भारतीय कानून के इतिहास में पहली बार कोई ‘विदेशी आतंकवादी’ किसी भारतीय अदालत में पेश होगा और बयान देगा.’
हेडली की गवाही की मुख्य बातें
– मैं लश्कर ए तैयबा का एक सच्चा अनुयायी था.
– अपने नाम बदलने की जानकारी सबसे पहले मैंने अपने सहयोगी लश्कर ए तैयबा के साजिद मीर को दी थी.
– नाम बदलने के बाद के एक सप्ताह के अंदर मैं पाकिस्तान गया था.
– भारत में प्रवेश के लिए ही मैंने अपना नाम बदला था. हेडली जैसे अमेरिकन नाम के साथ मैं भारत में प्रवेश करना चाहता था
– साजिद मीर (लश्कर ए तैयबा) चाहता था कि मैं भारत में कुछ व्यापार करुं और एक ऑफिस खोलूं
– नया पासपोर्ट मिलने के बाद मैं आठ भारत भारत गया, जिसमें मैं सात बार मुंबई गया.
– साजिद मीर ने (लश्कर ए तैयबा) मुंबई में रहते हुए मुझे वीडियो बनाने के लिए कहा था.
– मैं सात बार पाकिस्तान से सीधे भारत गया. एक बार यूएई से भारत गया.
– मेरे वीजा आवेदन में भरी गयी सभी जानकारियां गलत थीं, यहां तक कि मेरी जन्मतिथि, जन्म का स्थान, माता की राष्ट्रीयता और पासपोर्ट नंबर
– तीन बार मुंबई हमले का प्रयास किया गया. पहला प्रयास सितंबर 2008 में किया गया. इस समय हथियारों से भरा बोट समुद्र में पलट गया.
– मुंबई पर हमले का दूसरा प्रयास अक्टूबर 2008 में किया गया. यह प्रयास भी बेकार हो गया. तीसरा और अंतिम प्रयास 26/11 को किया गया. इसमें हम कामयाब हुए.
– साजिद मीर से उसके ईमेल अकाउंट से संपर्क होता था. साजिद का अकाउंट chalchalo@yahoo.com है.
– हाफिज सईद के निर्देश पर लश्कर ए तैयबा के लिए काम करता था. हाफिज सईद से काफी प्रभावित था.