गुवाहाटी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि 12वें दक्षिण एशियाई खेल सिर्फ खेलों का मंच नहीं है बल्कि व्यवसाय के जरिये क्षेत्र में अमन और समृद्धि लाने का भी एक जरिया है. यहां एक रंगारंग समारोह में खेलों के उद्घाटन की घोषणा करते हुए मोदी ने कहा कि इन खेलों से प्रतिभागी खिलाडियों में आपसी तालमेल मजबूत होगा.
उन्होंने खचाखच भरे इंदिरा गांधी एथलेटिक्स स्टेडियम में दिये गए भाषण में कहा ,‘‘ ये खेल व्यवसाय, बातचीत और खेल गतिविधियों के जरिये क्षेत्र में अमन और समृद्धि लाने का जरिया हो सकते हैं.’ उन्होंने कहा ,‘‘ इन 12 दिनों में आप जो मित्रता बनायेंगे, वे यादें ताउम्र आपके साथ रहेंगी.
खेलों के मैदान पर हम आपसी अंतर भूल जाते हैं और खेल भावना तथा रोमांच से एक दूसरे से जुड़ जाते हैं.’ मोदी ने कहा कि ये खेल क्षेत्र के लिये विकास के मौकों की तलाश का एक मौका है. उन्होंने कहा ,‘‘ सभी दक्षिण एशियाई देश विकास के सफर में हमारे साझेदार है. दक्षिण एशिया के लिये भी मेरा नजरिया वही है जो भारत के लिये है …सबका साथ, सबका विकास.’ उन्होंने कहा ,‘‘ ये खेल दक्षिण एशियाई देशों की एकजुटता का जश्न है. यह तीन टी का संगम है … टीमवर्क, टुगैदरनेस और टैलेंट.’ मोदी ने कहा कि व्यक्ति के विकास के लिये खेल जरुरी है.
ज्ञात हो आठ सार्क देशों की इस 12 दिन तक चलने वाली प्रतियोगिता में मेजबान भारत के अपनी बादशाहत स्थापित करने की उम्मीद है. इसमें सार्क देशों के 2500 एथलीट भाग ले रहे हैं.
दक्षिण एशियाई ओलंपिक परिषद के अंतर्गत कराये जाने वाले सैग खेल चार साल के विलंब के बाद आयोजित कराये जा रहे हैं. सैग खेलों का 12वां चरण 2012 में नयी दिल्ली में कराया जाना था लेकिन राजधानी में विधानसभा चुनावों के कारण इन्हें स्थगित कर दिया गया. इसके बाद भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने दिसंबर 2012 और फरवरी 2014 के बीच निलंबित कर दिया जिससे इसमें और देरी हो गयी.
आईओसी द्वारा आईओए का निलंबन हटाये जाने के बाद खेलों की मेजबानी केरल को दिये जाने की उम्मीद की जा रही थी लेकिन पिछले साल एक और विलंब के बाद इन्हें गुवाहाटी और शिलांग में आयोजित करने का फैसला किया गया. इस तरह इन दोनों शहरों को भारत के तीसरे सैग खेलों की मेजबानी का मौका मिला. इससे पहले 1987 में कोलकाता और 1995 में चेन्नई में इन खेलों को कराया गया था.