करपी (अरवल) : ईश्वर की अाराधना ही मुक्ति का एक मात्र मार्ग है. गृहस्थ धर्म का पालन करने वाले को श्रीमद् भागवत गीता के स्मरण मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. उक्त बातें अरवल औरंगाबाद की सीमा पर स्तित च्यवनाश्रम देवकुंड में आयोजित राधाकृष्ण प्राण -प्रतिष्ठा सह भागवत महायज्ञ में आये आचार्य धर्मदत जी महाराज ने कहीं. आचार्य ने कहा कि मनुष्य इस मायारूपी जाल से तभी मुक्त हो सकता है जब वह अपने आपको भगवान के चरणों में समर्पित कर दे.
अपने संगीतमय प्रवचनों से लोगों को मंत्रमुग्ध करते भगवान श्रीकृष्ण की जन्मकथा सुनाते हुए कहा कि देवकी वासुदेव के द्वारा आह्वान मात्र से भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतरित होकर बालरूप में रहना स्वीकार किया. आचार्य जी एवं उनके संगीत मंडली नेअपने संगीतमय प्रवचनों से श्रीकृष्ण कथा से लेकर कंशबध तक की कथा का रसपान भक्तों को कराया .
यज्ञ के संयोजक मंडल में कमलेश यादव, अरविंद राजवंशी एवं आशुतोष पांडेय समेत अन्य लोगों ने भाग लिया. वहीं वृदावन से आये रासलीला के कलाकारों ने रामजन्मोत्सव की प्रस्तुति कर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया.