पटना : भाजपा ने कल गंगा नदी पर बन रहे 6 लेन वाले कच्ची दरगाह-बिदुपुर पुल के कार्यारंभ समारोह में राजदसुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को आमंत्रित किए जाने पर आज प्रश्न उठाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उन्हें ‘सुपर मुख्यमंत्री’ का दर्जा क्यों नहीं दे देते हैं. भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने आज एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पूछा कि कच्ची दरगाह-बिदुपुर पुल के कार्यारंभ सरकारी समारोह में किस हैसियत से लालू प्रसाद आमंत्रित किया गया हैं. लालू प्रसाद मंत्री, सांसद, विधायक नहीं हैं.
सुशील मोदी ने आरोप लगाया कि सरकारी खजाना लूटने के दोष सिद्ध, चारा घोटाले के सजायाफ्ता तथा अदालत से जमानत पर जेल के बाहर हैं, उन्हें सरकारी कार्यक्रम में बुलाने का औचित्य क्या है. पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील ने कहा कि अगर नीतीश कुमार लालू प्रसाद के इतने ही दबाव में हैं तो मेघालय की तरह जहां पांच राजनेताओं को मुख्यमंत्री का दर्जा प्राप्त है, उन्हें भी ‘सुपर मुख्यमंत्री’ का दर्जा क्यों नहीं दे देते हैं, जिससे कि उन्हें सरकार के कार्यों में हस्तक्षेप करने का वैधानिक अधिकार मिल जाये.
उन्होंने कहा कि अगर लालू प्रसाद को पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से आमंत्रित किया गया है तो फिर डाॅ. जगन्नाथ मिश्र और जीतन राम मांझी को क्यों नहीं बुलाया गया है. भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि सरकार की ओर से अखबारों में प्रकाशित पुल के कार्यारंभ से संंबंधित विज्ञापन में केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री रामविलास पासवान के साथ ही वैशाली व पटना जिले के अन्य सांसदों व विधायकों की भी उपेक्षा की गयी है. सरकार को बताना चाहिए कि अगर लालू प्रसाद का नाम विज्ञापन में प्रकाशित किया जा सकता है तो हाजीपुर के सांसद व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान व अन्य सांसदों, विधायकों के नाम क्यों नहीं प्रकाशित किए गये हैं.
बिहार विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता ने आरोप लगाया कि हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव से पहले आनन-फानन में पटना की ओर से पुल का शिलान्यास और छह महीने के भीतर वैशाली के राघोपुर दियारा की ओर से कार्यारंभ पर सवाल उठाये जाने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तिलमिला रहे हैं.
उन्होंने आरोप लगाया कि ठीक इसी तरह सुल्तानगंज-अगुवानी घाट पुल का लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार द्वारा खगड़िया की ओर शिलान्यास और विधानसभा चुनाव के पहले सुल्तानगंज की ओर से कार्यारंभ करने के बावजूद निर्माण कार्य आज तक अटका हुआ है.
सुशील ने कहा कि मुख्यमंत्री को स्पष्ट करना चाहिए कि किन शर्तों को पूरा करने के बाद किसी परियोजना का शिलान्यास और फिर किन कार्यों के पूरा होने के बाद कार्यारंभ किया जाता है. क्या यह गंठबंधन दलों के बीच श्रेय लेने की होड़ और द्वंद नहीं है कि जिस पुल का नीतीश कुमार ने कुछ माह पहले शिलान्यास किया, अब उसका लालू प्रसाद की उपस्थिति में कार्यारंभ किया जा रहा है.