नयी दिल्ली: बजट से पहले रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने अतिरिक्त कर्ज के जरिये आर्थिक वृद्धि बढाने को लेकर आगाह करते हुए आज कहा कि राजकोषीय सुदृढीकरण के रास्ते से हटना अर्थव्यवस्था की स्थिरता को नुकसान पहुंचा सकता है. राजन ने कहा कि वैश्विक उठा-पटक के दौरान वृहत आर्थिक स्थिरता को जोखिम में नहीं डाला जा सकता और सरकार एवं रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति को नीचे लाने के प्रयास जारी रखने चाहिए. उन्होंने यहां कहा, ‘‘ब्राजील का अनुभव बताता है कि आक्रमक नीतियों के जरिये छोटी वृद्धि का लाभ महंगा हो सकता है और देश में अस्थिरता के रूप में भारी पड सकता है.
हमें वैश्विक उठा-पटक के इस दौर में अपनी एक महत्वपूर्ण ताकत .वृहत आर्थिक स्थिरता को लेकर बेहद सतर्क रहना चाहिए और इसे जोखिम में नहीं डालना चाहिए.’ सी डी देशमुख स्मारक व्याख्यानमाला में अपने संबोधन में राजन ने कहा कि यह सार्वजनिक चर्चा है कि क्या भारत को राजकोषीय सुदृढीकरण को स्थगित कर देना चाहिए क्योंकि कुछ लोगों का तर्क है कि इससे वृद्धि को गति मिल सकती है.
उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से इस समय सरकारी व्यय के आधार पर वृद्धि गुणक काफी छोटा हो सकता है, अत: ज्यादा खर्च निश्चित रुप से कर्ज के गणित को प्रभावित करेगा.रिजर्व बैंक के गवर्नर राजन ने कहा कि केंद्र एवं राज्यों का एकीकृत शुद्ध घाटा 2015 में बढकर 7.2 प्रतिशत हो गया जो इससे पूर्व वर्ष में 7.0 प्रतिशत था.
उन्होंने कहा, ‘‘दरअसल, हमने वास्तव में पिछले साल सकल घाटा बढाया. बिजली वितरण कंपनियों को पटरी पर लाने की योजना उदय अगले वित्त वर्ष से प्रभाव में आ रही है. इसकी संभावना कम है कि राज्यों के घाटे कम होंगे, इससे समायोजन को लेकर केंद्र पर दबाव बढेगा.’ राजग सरकार पिछले साल राजकोषीय घाटे के लक्ष्य में कमी को एक साल आगे टालकर राजकोषीय सुदृढकरण के रास्ते से हटी.मूल रूप से राजकोषीय घाटे को 2015-16 में जीडीपी के 3.6 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य था लेकिन एक साल के लिये टाल दिया गया. अब सरकार ने चालू वित्त वर्ष में इसे 3.9 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा है
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