नॉर्थ बंगाल मर्चेन्ट्स एसोसिएशन के महासचिव संजय टिबड़ेवाल ने कहा है कि एक जनवरी से पहले इस तरह की समस्या नहीं थी. केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के नये दिशा-निर्देशों के बाद संभवत: स्टेट बैंक ने सेवा दरें बढ़ा दी है. श्री टिबड़ेवाल ने आगे कहा कि स्टेट बैंक के विभिन्न ब्रांचों में जाने पर कैश हैंडलिंग के नाम पर ग्राहकों से पैसे वसूले जा रहे हैं. इसकी वजह से कई बार ग्राहकों और बैंक कर्मचारियों के बीच विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है.
उन्होंने बताया कि 50 हजार रुपये तक कोई भी खाताधारी स्टेट बैंक में नगद जमा करा सकते हैं. इस पर कोई चार्ज नहीं लिया जाता. लेकिन 50 हजार रुपये से अधिक जमा करने पर 286 रुपये लिये जाते हैं. इतना ही नहीं, एक लाख रुपये से अधिक जमा करने पर प्रति एक हजार रुपये जमा करने पर ढाई रुपये कैश हैंडलिंग चार्ज के नाम पर बैंक वसूली करती है. श्री टिबड़ेवाल ने कहा कि वित्त मंत्री चाहते हैं कि अधिकांश लेन-देन चेक से हो और वह वित्त मंत्री की इस पहल की सराहना भी करते हैं. लेकिन रिटेल दुकानदारों तथा व्यवसायियों के लिए पूरा काम चेक में कर पाना संभव नहीं है. एक आम दुकानदार या व्यवसायी ग्राहकों से चेक से भुगतान नहीं लेता है, क्योंकि ग्राहकों के साथ उनकी जान-पहचान नहीं होती. कोई भी दुकानदार चेक लेने के रिस्क पर अपना कारोबार नहीं करता. स्वाभाविक तौर पर अधिकांश कारोबार नगद में होने की वजह से व्यवसायी स्टेट बैंक में नगदी जमा कराते हैं.
इसी बात का फायदा स्टेट बैंक उठा रहा है. श्री टिबड़ेवाल ने इस मुद्दे को लेकर केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को एक चिट्ठी भी लिखी है. चिट्ठी में उन्होंने यह भी कहा है कि यदि स्टेट बैंक का यही रवैया जारी रहा, तो व्यवसायी निजी बैंकों की ओर रूख करेंगे. एक बातचीत के दौरान श्री टिबड़ेवाल ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे को लेकर स्टेट बैंक के रिजनल मैनेजर तथा प्रबंध निदेशक को भी एक चिट्ठी लिखी है. उन्होंने कहा कि पूरे उत्तर बंगाल में स्टेट बैंक के विभिन्न शाखाओं में व्यवसायियों को इस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने इस मामले में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी हस्तक्षेप की मांग की.