लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने अलीगढ मुस्लिम यूनीवर्सिटी और जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा बहाल करने की मांग करते हुए आज कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार राजनीति से प्रेरित होकर इस दर्जे को छीनने के लिये कुतर्कों का सहारा ले रही है. मायावती ने यहां प्रेस कांफ्रेंस में कहा केंद्र सरकार अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया की पहचान के खिलाफ जाकर उनका अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा छीनकर अल्पसंख्यक छात्रों को यतीम बनाने की कोशिश में जुटी है. इन दोनों ही संस्थानों का अल्पसंख्यक दर्जा छीनने का यह प्रयास राजनीति से प्रेरित लगता है.
बसपा मुखिया ने कहा कि मुसलमानों के पास देश में जो उच्च शिक्षण संस्थाएं हैं उनका अल्पसंख्यक दर्जा लगातार जारी रखना चाहिए. इसे छीनने को लेकर केंद्र सरकार की दलील को बसपा एक षड्यंत्र मानती हैं. भाजपा को अगर दलितों और पिछड़ों की इतनी ही चिंता है तो उसे सबसे पहले प्राथमिक स्कूलों की खराब हालत को सुधारना चाहिए, क्योंकि दलितों और अल्पसंख्यकों के ज्यादातर बच्चे इन्हीं स्कूलों में पढ़ने को मजबूर हैं. साथ निजी स्कूलों में भी आरक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि भाजपा का तर्क है कि अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा समाप्त होने से एएमयू और जामिया मिलिया विश्वविद्यालय में दलितों और अन्य पिछड़े वर्गों के लोगों को शिक्षा प्राप्त करने में सहायता मिलेगी लेकिन भाजपा की यह दलील सही नहीं है.
मायावती ने कहा कि धार्मिक अल्पसंख्यक समाज में 90 प्रतिशत ऐसे लोग हैं, जो मूल रूप से पहले दलित, आदिवासी और अन्य पिछड़े वर्ग के ही कहलाते थे, लेकिन हिन्दू रुढ़िवादिता और जाति आधारित जुल्म की वजह से उन्होंने धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम, सिख और अन्य धर्म अपना लिये थे. बसपा उन्हें अब भी अपने समाज का अंग मानकर चलती है और वह धर्म परिवर्तन करने वाले इन वर्गों को भी आरक्षण देने की पक्षधर है. मायावती ने केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के कार्यकाल में दलितों, पिछडों और मुसलमानों पर जुल्म की घटनाएं लगातार बढ़ने का आरोप लगाया और कहा कि देश के कुछ राज्यों में ऐसी ही मानसिकता पर चलकर आज भी कुछ मंदिरों में महिलाओं को नहीं जाने दिया जाता है. महाराष्ट्र के शनि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर जबर्दस्त प्रदर्शन चल रहा है. जो पुजारी उस मंदिर में महिलाओं को पूजा करने से रोक रहे हैं, उन्हें याद रखना चाहिए कि उन्हें किसी महिला ने ही जन्म दिया था.
बसपा मुखिया ने कहा कि जहां एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने ‘राजनीतिक स्वार्थ’ की वजह से दलितों के मसीहा भीमराव अम्बेडकर के लिये घोषणाएं कर रहे हैं, वहीं पूरे देश में दलितों का अपमान किया जा रहा है. दलितों के खिलाफ घोर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले केंद्रीय मंत्री वी के सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने से अन्याय और बढा है. इसमें पर्दें के पीछे संघ और अन्य भगवा संगठनों का हाथ है. मायावती ने कहा कि ऐसे ही हालात के कारण हैदराबाद के दलित छात्र रोहित वेमुला को आत्महत्या के लिये मजबूर होना पडा. इस प्रकरण की न्यायिक जांच के बाद भी अगर रोहित को न्याय नहीं मिलता है तो यही माना जायेगा कि प्रधानमंत्री का लखनऊ में एक कार्यक्रम में रोहित का नाम लेकर भावुक होना सोची-समझी राजनीतिक हरकत थी और उनके आंसू घड़ियाली थे.
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि पीड़ित परिवार को न्याय मिल पायेगा, क्योंकि सरकार शुरू से ही इससे जुड़े लोगों को बचाने में जी जान से लगी है. उन्होंने कहा कि देश में संघ की मानसिकता रखने वाले भाजपा के मंत्रियों की सोच दलितों, पिछडों और अल्पसंख्यकों खासकर मुसलमानों के लिये घातक, जातिवादी और अमानवीय है. पूरे देश में इस वर्ग के लोगों पर जुल्म की घटनाएं लगातार बढ रही है. दोषियों के प्रति सरकार का रवैया नरम और उदार होने के कारण उनका हौसला बढ रहा है. मायावती ने कहा कि पहली बार ऐसा माहौल बना है कि भाजपा के सांसद संवैधानिक व्यवस्था का खुलेआम मजाक उडा रहे हैं. प्रधानमंत्री ने भी संविधान की शपथ लेने वाले अपने मंत्रियों को बेलगाम छोड़ दिया है. भाजपा के ऐसे व्यवहार से देश का कभी हित नहीं होगा.