माता का दूध बच्चे के लिए अमृत है. स्तनपान से शिशु ही नहीं माता को भी लाभ प्राप्त होता है. स्तनपान कराने से माता के स्तन में होनेवाली अनेक बीमारियां जैसे गांठें बनना, ब्रेस्ट कैंसर आदि नहीं होती हैं.
बच्चे को माता के दूध में सभी तरह के पोषक तत्व मिलते हैं, जिससे बच्चों का सर्वांगीण विकास हो पाता है तथा बच्चे की व्याधि से लड़ने की क्षमता बढ़ती है. इससे शिशु कई प्रकार के रोगों से भी बचा रहता है. सुश्रुत संहिता में माता के दूध की महिमा इस श्लोक के जरिये बतायी गयी है :
प्यो अमृतां एसं पीत्वा, कुमारस्ते शुभानने.
दीर्घ माथुर कप्रोतु देवा प्राश्यामृते यथा.
अर्थात् जिस प्रकार देवता अमृत का पान कर अमर एवं दीर्घायु हुए, उसी प्रकार बालक अमृत रूपी दूध को पान कर दीर्घायु हो.
माता का दूध बढ़ाने के उपाय
साधारणत: प्राकृतिक रहन-सहन, प्रसन्न चित्त, निर्मल व शुद्ध जलवायु का भी दूध पर प्रभाव पड़ता है. भोजन मे पूर्णत: संतुलित पोषक व पौष्टिक खाद्य पदार्थ लेना चाहिए. दूध भी खूब पीना चाहिए. मोटी महिलाओं को अपने आहार में घी जरूर कम कर देना चाहिए इसके अलावा कुछ व्यायाम भी अवश्य करने चाहिए. माता काे गर्भधारण होते ही अच्छे भोजन लेना चाहिए. मसूर की दाल दूध बढ़ाने में सहायक होती है. खाने में मसूर दाल का अवश्य प्रयोग करें. ठंड के मौसम में तीसी का दूध लेने से भी काफी लाभ मिलता है.
शतावर : शतावर का हलवा लेने से दूध की खूब बढ़ोतरी होती है. शतावरी चूर्ण आधा-आधा चम्मच गाय के दूध के साथ लेने से माता का दूध बढ़ जाता है. आजकल बाजार में शतावर का चूर्ण भी आसानी से मिल जाता है.
जीरा : सफेद जीरा को पीस कर आधा चम्मच गाय के दूध के साथ लेने से स्तनों में दूध की काफी बढ़ोत्तरी हो जाती है. इसके अलावे भी कई दवाइयां हैं, जो दूध बढ़ाने में सहायक हैं. मगर चिकित्सक की सलाह से ही औषधि लें.
ओछवानी : डििलवरी के बाद महिलाओं को ओछवानी दी जाती है. इसे दशमूल से तैयार किया जाता है़ इसे दस तरह की जड़ी-बूटी होती है. इसके साथ ही मेवा मिला कर दूध के साथ देने मां का स्वास्थ्य ठीक रहता है.
(आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ कमलेश प्रसाद
से बातचीत)
स्तनपान के फायदे
मां का दूध शरीर में स्रिग्धा लानेवाला, शरीर को जीवन शक्ति प्रदान करनेवाला होता है. आजकल माताएं शिशु को दूध पिलाना नहीं चाहतीं. उन्हें भ्रम होता है कि इससे उनका फिगर खराब हो जायेगा. किंतु ऐसी बात नहीं है. जो माताएं शिशु को स्तनपान कराती हैं, उनके शरीर के सारे हॉर्मोन संतुलन में रहते हैं. उनमें गर्भधारण का खतरा भी कम हो जाता है.
इससे माता एवं शिशु के बीच में वात्सल्य व प्रेम बढ़ता है. स्तन में होनेवाली समस्याओं से भी मां बची रहती है. बच्चे को मां का पहला दूध अवश्य पिलाना चाहिए. यह शिशु के लिए अमृत के समान है, इसे बच्चों को अवश्य पिलाना चाहिए. यह बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देता है, जिससे शिशु में किसी भी प्रकार के इन्फेकशन की आशंका नगण्य हो जाती है.
अकसर यह देखा जाता है कि बोतल में पीनेवाले शिशु में तरह-तरह की बीमारियां होती रहती हैं. बच्चे को पेट की समस्याएं भी होती रहती हैं.
पेट की समस्याओं का उपचार : इसके लिए आजवाइन को पानी में उबाल कर उस पानी को दूध पिलानेवाली माता को देना चाहिए. इससे मां का दूध, तो शुद्ध होता ही है. साथ ही िशशु की पेट की समस्याएं भी दूर होती हैं.