भागलपुर : पटना हाई कोर्ट के न्यायाधीश नवनीति प्रसाद सिंह ने कहा कि न्यायिक कार्य को पेशा का रूप दें, न की व्यापार का. मुकदमा लंबे अंतराल तक चलने से वादी व परिवादी किसी को फायदा नहीं होता है. मुकदमों को जल्द निबटाने की कोशिश करनी होगी, ताकि लोगों का न्यायिक व्यवस्था में विश्वास बढ़े. वे रविवार को सबौर कृषि विश्वविद्यालय के सभागार में हाई कोर्ट के शताब्दी वर्ष को लेकर आयोजित क्षेत्रीय शताब्दी समारोह में न्यायिक पदाधिकारियों और अधिवक्ता को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि साक्षरता दर में वृद्धि होने के साथ ही कोर्ट केस की संख्या भी बढ़ी है. केरल का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पूर्ण साक्षर राज्य में शत-प्रतिशत साक्षरता के साथ सबसे अधिक मुकदमे की दर भी है. यह गलत नहीं है, क्योंकि अधिक पढ़े-लिखे लोग अपने अधिकार के प्रति सजग होते हैं. अगर मुकदमों की दर कम हो जाये, तो वह भी ठीक नहीं होगा.
पहले एक वर्ष में तीन या चार मुकदमे होते थे, तो यह प्रतीत होता था कि विवाद किसी और तरीके से निबटाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कोर्ट में अगर लंबित मुकदमों की संख्या बढ़ रही है, तो यह न्यायिक व्यवस्था में गिरावट की पहचान है. वर्ष 2000 के केस का निर्णय वर्ष 2016 में आना न्यायोचित नहीं है.
उन्होंने कहा कि जज के साथ अधिवक्ता का भी दायित्व है कि केस जल्द निबटारा करने की दिशा में काम करें. उन्होंने अधिवक्ता से अपील की कि व्यवस्थित ढंग से केस का निबटारा करने में सहयोग करें. इसके लिए वे वादी-परिवादी दोनों को केस निबटाने को लेकर प्रेरित करें. इससे पूर्व उन्होंने व्यवहार न्यायालय में एडीआर भवन का उद्घाटन किया.