शेखपुरा : शहर के खांड पर मोहल्ले के भीठा पर निवासी उपेंद्र महतो पेसे से राज मजदूरी का काम करते हैं. पिछले पांच दिनों से वे काम धंधा छोड़ कर सरकारी दफ्तरों का चक्कर लगाने को विवश है. पिछले दो माह के अंतराल में बिजली विभाग ने उन्हें 57 हजार रुपये का बिजली बिल भेज दिया है. इस बड़े रकम के बिल ने पूरे परिवार के सदस्यों की नींद उड़ा दी है.
पीड़ित उपेंद्र कुमार ने बताया कि महज तीन कमरों में ही उनकी जिंदगी गुजर रही है. ऐसे में बिजली की खपत का महज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. परिवार के माली हालत के कारण वे हर दो या तीन महीने में ही बिजली बिल जमा करते रहे हैं. इसी दरम्यान करीब तीन माह पहले भी 2930 रुपये का बिल आ गया था.
दर्जनों बार दफ्तरों का चक्कर लगाया, लेकिन निराशा हाथ लगी. आखिरकार कर्ज लेकर किसी तरह बिजली बिल जमा कराना पड़ा. लेकिन अब जबकि 57 हजार की बड़ी रकम का बिल आ गया है तब घर गिरवी रखने की नौबत आन पड़ी है. बिजली बिल का दर्द झेल रहे उपेंद्र महतो अकेला शख्स नहीं है जो अपनी रोजी-रोटी की फिक्र छोड़ कर बिजली बिल सुधारने में चक्कर लगाने को विवश है.जिलाधिकारी के समक्ष बिजली बिल की फरियाद सुनाने वाले पीड़ित उपेंद्र ने जो कुछ कहा उससे इस व्यवस्था के पीछे एक नये किस्म के भ्रष्टाचार का मानो खुलासा हुआ हो.
दरअसल उपेंद्र ने कहा कि बिजली मीटर की नियमित रीडिंग लेने तो कोई नहीं आते लेकिन फर्जी यूनिट डाल कर पहले तो ऊंची रकम का बिल बनवाते हैं. इसके बाद खुद ही लोग मैनेज करने की बात करते हैं. हालांकि उपेंद्र ने कहा कि अगर मीटर यूनिट की जांच करायी जाती है तब सुधार तो होते हैं लेकिन मीटर रीडिंग करने वालों से लेकर बिजली बिल बांटने वाले तक सभी ही ऐसे कारगुजारी कर भ्रष्टाचार का नया खेल खेलते हैं.